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Nagpur Bews: चांद की रोशनी में विदर्भ के जंगलों में वन्यजीवों के दीदार की तैयारी

- 12 मई को मचानों से प्रकृति का अनूठा अनुभव
- सता रहा बारिश का डर
- मचान बनाने की कवायदें शुरू
Nagpur News चांद की रोशनी में विदर्भ के जंगलों में एक बार फिर वन्यजीवों को नजदीक से देखने का अवसर आ रहा है। 12 मई की रात को पर्यटक बाघ, भालू, हिरण और अन्य वन्यजीवों का दीदार मचानों से कर सकेंगे। इसके लिए वन विभाग ने नागपुर, पेंच, और ताडोबा के जंगलों में मचान तैयार करने शुरू कर दिए हैं।
नागपुर प्रादेशिक क्षेत्र में 40 से अधिक मचान बनाए जा रहे हैं, जबकि पेंच के जंगलों में भी लगभग इतनी ही संख्या में मचान तैयार किए जाएंगे। ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में 50 मचान बनाए जा रहे हैं, जो चंद्रपुर, मूल, मोहर्ली, खडसंगी, पळसगांव, और शिवनी क्षेत्रों में होंगे।
पहले बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मचानों और वॉच टावरों से वाटर होल पर आने वाले वन्यजीवों की गणना की जाती थी, जिससे क्षेत्र में बाघों और अन्य प्रजातियों की संख्या का अनुमान लगाया जाता था। हालांकि, इस गणना में त्रुटियों की संभावना के कारण वन विभाग ने इसे बंद कर दिया। अब यह गतिविधि केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए अनुभव और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आयोजित की जाती है।
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा की रात (12 मई) को मचान निसर्ग अनुभव का आयोजन किया गया है। नागपुर प्रादेशिक क्षेत्र में पवनी में 13, बुट्टीबोरी में 10, कोंढाली में 20, खापी में 12, और पारशिवनी में 5 मचान बनाए गए हैं। ताडोबा के जंगल पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण हैं, जहां 50 मचान तैयार किए गए हैं। पेंच के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में भी करीब 50 मचान बनाए जा रहे हैं। पर्यटकों को 28 अप्रैल से 5 मई तक बुकिंग करानी होगी।
रातभर जंगल का अनुभव होगा अद्भुत : इस अनुभव के दौरान पर्यटकों को रातभर जंगल में रहने का मौका मिलेगा। चांदनी रात में वाटर होल के पास बाघ, भालू, हिरण, खरगोश जैसे वन्यजीवों को देखना एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। कई बार इन जंगलों में दुर्लभ प्रजातियां, जैसे सिल्वर भालू, भी दिखाई देती हैं। पिछले साल नागपुर के जंगलों में सिल्वर भालू देखा गया था।
बारिश का खतरा : पिछले दो वर्षों से नागपुर में तूफानी बारिश के कारण यह आयोजन रद्द करना पड़ा था। पेंच में भी बारिश के कारण कई बार मचानों की संख्या कम करनी पड़ी। इस बार भी बारिश इस अनुभव को प्रभावित कर सकती है, जिसका डर पर्यटकों और आयोजकों को सता रहा है।
Created On :   26 April 2025 6:11 PM IST