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तालाबों की नियमित हो रही सफाई, अब भी मूर्तियों के अवशेष पड़े हुए हैं
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोनेगांव, फुटाला और गांधीसागर तालाब के प्राकृतिक अस्तित्व को बचाने को लेकर घोषणाएं होती रही हैं। करोड़ों के खर्च से दो तालाबों में कृत्रिम विसर्जन टैंक भी बनाए गए हैं, ताकि मूर्तियों और निर्माल्य के विसर्जन से तालाब के पानी की सुरक्षा संभव हो सके। कृत्रिम टैंक में लीकेज और सफाई के अभाव में अब गंदगी सीधे तौर पर सोनेगांव और गांधीसागर तालाबों काे प्रदूषित कर रही है। लगातार गंदगी के तालाब में पहुंचने से जलचरों और तालाब के अस्तित्व पर संकट आ रहा है। प्रशासन का दावा है कि सोनेगांव तालाब के कृत्रिम टैंक की हाल ही में सफाई कराई गई है, लेकिन गंदे पानी को निकालकर साफ करने के बजाय क्लोरीन पाउडर डालकर खानापूर्ति की गई है। ऐसे में जमा गंदगी बुरी तरह से खराब होकर खतरनाक रूप में पानी के साथ तालाब में पहुंच रही है। अधिकारियों का दावा है कि सफाई में कोई भी कोताही नहीं हो रही है।
सौंदर्यीकरण भी संकट में
करीब 16.42 हेक्टेयर क्षेत्र में सोनेगांव तालाब मौजूद है। मालिकाना अधिकार की कानूनी लड़ाई के साथ ही नागरिकों की लापरवाही से तालाब के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते रहे हैं। 9 जुलाई 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नगरसेवक संदीप जोशी के अनुरोध पर प्रस्ताव को मंजूर किया था। करीब 18.2 करोड़ के प्रस्ताव में तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ परिसर में बुनियादी सुविधाओं को तैयार करना है। तालाब के मुख्य गेट के समीप नक्षत्र उद्यान, पश्चिमी और उत्तरी दिशा में वाकिग ट्रैक, शौचालय को भी बनाया जाना है। राज्य सरकार से निधि मनपा प्रशासन को आवंटित भी कर दी गई, लेकिन मालिकाना अधिकार की लड़ाई के चलते सौंदर्यीकरण को आरंभ नहीं किया जा सका। इस साल 29 अगस्त को केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के हाथों सौंदर्यीकरण का भूमिपूजन किया गया। ठेका एजेंसी को 1 साल के भीतर निर्माणकार्य को पूरा करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि अब भी निर्माण सामग्री के दामों में इजाफा के चलते आवंटित निधि के कम पड़ने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में सौंदर्यीकरण के लिए एक बार फिर इंतजार करने की नौबत बन गई है।
18वीं सदी में भोसले राजघराने ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए पोहरा नदी के जल को संरक्षित किया था। संरक्षित जल को ही बाद में सोनेगांव तालाब के रूप में पहचान मिली। 21 जून 1974 को उत्तराधिकारियों से डॉ. सुधा सुतारिया और डॉ. रेखारानी भिवापुरकर ने नीलामी में तालाब को खरीदा था। निजी संपत्ति होने के चलते प्रशासन ने तालाब की सफाई और देखभाल पर ध्यान नहीं दिया। 13 अप्रैल 1992 को डॉ. सुधा सुतारिया ने अपने हिस्से के 0.81 क्षेत्र को सदानंद थोटे को बेच दिया। सदानंद थोटे ने तालाब के हिस्से को भरने का प्रयास आरंभ किया, जिसके विरोध में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार ने अभियान चलाया। दोनों नेताओं के अनुरोध पर जिला प्रशासन ने 30 दिसंबर 1999 को तालाब के अधिग्रहण का प्रयास आरंभ किया, जिसके विरोध में 13 मार्च 2000 को डॉ. रेखारानी भिवापूरकर ने न्यायालय में याचिका दायर की। इस याचिका पर स्थगनादेश मिला। करीब 19 सालों तक कानूनी लड़ाई के बाद न्यायालय ने 24 जनवरी 2019 को सभी याचिका को रद्द कर दिया।
प्रत्येक सप्ताह होती है सफाई
रामभाऊ तिड़के, विभागीय स्वास्थ्य अधिकारी, लक्ष्मीनगर जोन कार्यालय, मनपा के मुताबिक दुर्गा विसर्जन के बाद सोनेगांव तालाब की सफाई की गई है। पिछले सप्ताह भी सफाई कराया है, अब फिर से गंदगी हुई हो, तो जल्द ही टीम को भेजकर साफ करने के निर्देश देंगे।
Created On :   26 Oct 2021 6:23 PM IST