कोरोना से संबंधित फेक ऑडियो वायरल तीन की 30 दिन तक पुलिस रिमांड

30-day police remand to 3 accused on fake audio viral Corona related audio
कोरोना से संबंधित फेक ऑडियो वायरल तीन की 30 दिन तक पुलिस रिमांड
कोरोना से संबंधित फेक ऑडियो वायरल तीन की 30 दिन तक पुलिस रिमांड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना से संबंधित फेक रिकॉर्डिग वायरल करने वाले तीन दोस्तों को सदर पुलिस ने शनिवार को अवकाश कालीन अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को पीसीआर में भेज दिया गया है। इस रिकॉर्डिंग को खुराफाती दिमाग की उपज बताया जा रहा है। इस मामले में आरोपियों द्वारा घर में आए नवजात की आड़ लेकर ऑडियो को बनाना महज एक बहाना बताया गया है। मुख्य आरोपी जय उर्फ मोनू ओप्रकाश गुप्ता (37), कामठी रोड स्थित अमर विहार सोसायटी, उसका मित्र अमित शिवपाल पारधी (38) मिसाल ले-आउट और दिव्यांशु रामविलास मिश्रा (33) सुयोग नगर निवासी हैं। तीनों आरोपी मित्र उच्च शिक्षित हैं और निजी कंपनियों में बड़े ओहदे पर कार्यरत हैं और अपने-अपने परिवारों के साथ निवासरत हैं।

जय से परेशान हैं लोग

18 मार्च के पूर्व दिव्यांशु की पत्नी प्रिया का प्रसव हुआ। नवजात को देखने के लिए प्रिया ने अपनी कुछ सहेलियों का बुलाया था, जिससे वो प्रिया के घर आने वाली थीं। पूछताछ में दिव्यांशु ने बताया कि देश में कोरोना का संक्रमण है, इस कारण वह नहीं चाहता था कि प्रिया की सहेलियां उसके घर में आएं और कोरोना संक्रमण का खतरा पैदा हो। यह बात उसने अपने मित्र जय को बताई थी, लेकिन जय खुराफाती दिमाग का है। घटना के बाद पुलिस ने जय को जानने वाले कई लोगों से पूछताछ की है, जिससे पता चला है कि जय का दिमाग खुराफाती है। उसकी हरकतों से कई लोग परेशान भी हैं। झांसा देकर वह लोगों से रुपए उधार लेता है और बात-बात पर लड़ने को उतारू हो जाता है। हालांकि अभी तक िकसी ने उसके खिलाफ थाने में शिकायत नहीं की है

400 नंबरों को खंगाला गया

जब दिव्यांशु ने अपनी परेशानी जय को बताई तो उसके दिमाग में फेक आडियो बनाने का आइडिया आया। फिर जय और अमित फोन कर ऑडियो तैयार किए। उसके बाद दिव्यांशु ने उसे प्रिया को दिखाया और जो सहेलियां उसके घर में आने वाली थीं, उन सहेलियों का भी वह फेंक ऑडियो भेजा गया। इस तरह से यह ऑडियो वायरल हो गया। इससे लोगों में भय का माहौल उत्पन्न हो गया था। इसका संज्ञान लेते हुए प्रकरण दर्ज किया गया था। साइबर सेल के निरीक्षक विशाल माने को आरोपियों काे तत्काल ढूंढ़ निकालने के लिए निर्देश दिए गए थे। जांच के दौरान साइबर सेल की टीम ने लगभग 400 लोगों के मोबाइल नंबरों को खंगाला है। इसके बाद वह आरोपियों तक पहुंच पाए। आरोपियों को 30 मार्च तक पीसीआर में भेजा गया है।

परिजनों ने किया था गिरफ्तारी का विरोध

जब पुलिस तीनों आरोपियों के घर उन्हें गिरफ्तार करने गई, तो परिजनों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया था। चूकि उन्हें पता ही नहीं था कि खुद को उच्च शिक्षित कहे जाने वाले आरोपियों ने कितना गंभीर अपराध किया है। विरोध के बावजूद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लाया गया। आला पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में आरोपियों से पूछताछ हुई। शुरुआती दौर में आरोपी वायरल ऑडियो में खुद की आवाज से इनकार करते रहे, लेकिन साइबर सेल ने जब उन्हें प्रकरण में लिप्त होने के सबूत दिए, तो आरोपी निरुत्तर हो गए। इसके बाद उन्होंने अपना अपराध कबूल किया है। 

Created On :   29 March 2020 2:49 PM IST

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