नागपुर: सीएसआर फंड जुटाने में जिला परिषद फिसड्डी, सिर्फ बातें हुईं, पहल नहीं, प्रशासन मौन

सीएसआर फंड जुटाने में जिला परिषद फिसड्डी, सिर्फ बातें हुईं, पहल नहीं, प्रशासन मौन
  • स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना जिला परिषद की अहम जिम्मेदारी
  • सीएसआर फंड जुटाने में जिला परिषद फिसड्डी
  • उद्योजकों के साथ बैठक नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला परिषद का कार्यक्षेत्र बड़ा है। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना जिला परिषद की अहम जिम्मेदारी है। उसे निभाने के लिए भी जिला परिषद के पास पर्याप्त निधि नहीं है। इस कमी को पूरा करने दो साल पहले कार्पाेरेट कंपनियों से सीएसआर फंड जुटाने उद्योजकों के साथ बैठक कर चर्चा हुई, लेकिन बात वहीं तक सीमित रह गई। उसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। प्रशासन को उद्योजकों से संपर्क करने की सूचना दी गई थी, लेकिन प्रशासन ने भी मौन रहने से जिला परिषद सीएसआर फंड जुटाने में फिसड्डी रही।

उद्योजकों की मानसिकता नहीं

जिले के ग्रामीण क्षेत्र में हजारों उद्योग हैं। उद्योग के आस-पास के क्षेत्र में सीएसआर फंड से विकास करना संबंधित उद्योग समूह का सामाजिक दायित्व बनता है। उद्योजकों की सामाजिक दायित्व निभाने की मानसिकता नहीं है। जिला परिषद की आमसभा में दो साल पहले विपक्ष ने उद्योजकों से संपर्क कर सीएसआर फंड का जिले के विकास के लिए उपयोग करने की मांग की थी, परंतु उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए।

उद्योजकों के साथ बैठक नहीं

उद्योजक के साथ बैठक कर सीएसआर फंड जुटाने की चर्चा कागजों में सिमटकर रह गई। दो साल में उद्योजकों के साथ इस विषय पर एक बैठक तक नहीं हुई। बैठक में मुद्दा उठने पर चर्चा की औपचारिकता निभाई गई। दो साल में किसी उद्योग समूह को साधारण पत्र तक नहीं भेजा गया।

विपक्ष को नहीं मिला प्रतिसाद : सत्तापक्ष और प्रशासन ने सीएसआर फंड जुटाने की दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ाने पर विपक्ष ने अपने स्तर पर प्रयास किए। बुटीबोरी एमआईडीसी में 150 से अधिक उद्योग चालू स्थिति में है। क्षेत्र के बड़े उद्योग समूह इंडोरामा, सीएट, केईसी आदि कंपनियों को नेता प्रतिपक्ष आतिष उमरे ने कई बार पत्र देकर परिसर के स्कूलों में सीएसआर फंड से बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। कंपनी प्रबंधन से उन्हें प्रतिसाद नहीं मिला।

सरकार को कोसने से फुर्सत नहीं

महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में जिला परिषद को भरपूर निधि मंजूर की गई। निधि प्राप्त होने से पहले राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। महायुति की सरकार ने जिला परिषद के विविध विकासकार्यों की निधि रोक दी। सरकार ने निधि रोक देने से विकासकार्य अटक जाने पर सरकार को कोसने से जिला परिषद को फुर्सत नहीं है। वहीं जिले में सैकड़ों कर्पोरेट कंपनियों से सीएसआर फंड जुटाकर विकासकार्यों की संभावना तलाशी जा सकती है। उसी दिशा में पदाधिकारी और प्रशासन ने मौन धारण किया है।

Created On :   12 Jun 2024 4:50 PM IST

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