विधानसभा: महिला व बाल कल्याण निधि वितरण प्रणाली आसान बनाने की तैयारी

महिला व बाल कल्याण निधि वितरण प्रणाली आसान बनाने की तैयारी
महिला एवं बाल विकास मंत्री तटकरे ने विधानसभा में दी जानकारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महिला व बाल विकास कल्याण निधि वितरण प्रणाली आसान बनाई जा रही है। महिला व बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने विधानसभा में जानकारी दी। उन्होंने कहा जिला योजना (डीपीसी) निधि का 3 प्रतिशत महिला एवं बाल कल्याण विभाग के लिए आरक्षित है। विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान करते समय निधि स्वीकृत करने का अधिकार पालकमंत्री और जिला कलेक्टर के पास है। फिर प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाता है, एक महीने के भीतर निर्णय ले लिया जाता है। विधानसभा में सदस्य बच्चू कडू ने ध्यानाकर्षण सूचना में पूछा। उन्होंने कहा अनाथालय में ही अनाथ बच्चों को संजय गांधी योजना, बालसंगोपन योजना का लाभ दिलाना चाहिए। 18 साल बाद अनाथालय से बाहर होने पर अनाथ के बैंक खाते में 7 से 8 लाख रुपए जमा होना चाहिए।

उन पर रिजर्व फंड खर्च नहीं किया जाता है। जब वे बाहर आते हैं तो उनके सिर पर छत नहीं होती। आवास की व्यवस्था सिडको, म्हाडा के माध्यम से की जा सकती है। उन्होंने विभिन्न मांगें रखीं कि उन्हें रोजगार मिलने तक दी जाने वाली सहायता राशि दी जाये। जवाब में, तटकरे ने कहा, अनाथों के आरक्षण के लिए, उनकी श्रेणी, उन्हें खुली श्रेणी से 1 प्रतिशत आरक्षण के बजाय उपलब्ध सीटों का 1 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। 115 बच्चों को सरकारी नौकरी दी गयी है। उनकी उच्च शिक्षा के लिए शैक्षिक शुल्क की प्रतिपूर्ति किशोर न्याय कोष से की जाती है। पीला राशन कार्ड, 18 वर्ष से अधिक उम्र के अनाथ बच्चों को संजय गांधी निराधार योजना का लाभ देने के संबंध में नीतिगत निर्णय लिये गये हैं। अब तक 6,447 अनाथ बच्चों को अनाथ प्रमाण पत्र वितरित किये जा चुके हैं। बच्चों को सरकारी, अर्धसरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों के साथ-साथ सभी शैक्षणिक संस्थानों में नौकरियों में 1 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। विभाग में संविदा नौकरियों में इन्हें प्राथमिकता है। पात्र अनाथ बच्चों को सरकार के सभी विभागों की कल्याणकारी योजनाओं से लाभ मिलता है। इसलिए अलग से आरक्षण का प्रावधान करने की जरूरत नहीं है।वर्तमान में प्रदेश में 1 बालिका एवं 6 बालक सगृह कार्यरत हैं। इन नर्सिंग होम की स्वीकृत प्रवेश क्षमता 650 है, जिनमें से लगभग 514 सीटें खाली हैं। इसके जरिए अनाथ बच्चों को आश्रय और अन्य दैनिक जरूरतें मुहैया कराई जाती हैं। केंद्र सरकार की मिशन वात्सल्य योजना के तहत इन नवागंतुकों को 4000 प्रतिमाह भत्ता दिया जाता है। महात्मा फुले जन आरोग्य योजना का लाभ स्वीकार्य है।

Created On :   20 Dec 2023 3:18 PM IST

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