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अंगदान: खेत मजदूर महिला के अंगदान से दो महिलाओं को जीवनदान, दुर्घटना में हुई थी घायल
- सालभर पहले मनीषा के पति की मृत्यु हुई थी
- मजदूरी से घर वापस जाते समय दुर्घटना का हुई थी शिकार
- वृद्ध माता -पिता ने अंगदान की दी अनुमति
डिजिटल डेस्क, नागपुर । दुर्घटना में गंभीर घायल होने के बाद ब्रेन डेड हो चुकी खेत मजदूर महिला के अंगदान से दो महिलाओं को नया जीवन मिला है। महिला के अंगदान के लिए उसके वृद्ध माता-पिता ने अनुमति दी। यवतमाल जिले की कलंब तहसील अंतर्गत मुसली गांव निवासी मनीषा कोकांडे (30) खेतमजदूरी करती थी। सालभर पहले मनीषा के पति की मृत्यु हुई। उसे पांच व तीन साल के दो बच्चे हैं। पति के निधन के बाद से मनीषा खेतमजदूरी करती थी। तीन दिन पहले वह खेती का काम निपटाकर दोपहिया वाहन से घर लौट रही थी। रास्ते में ब्रेकर पर उसका दोपहिया वाहन उछलने से वह गिर पड़ी। इससे उसके सिर को गंभीर चोट आयी। उसे आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल, सावंगी, वर्धा में भर्ती कराया गया। अस्पताल में तीन दिन उपचार के बावजूद सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिला और उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ने लगी थी।
माता-पिता ने दी अंगदान की अनुमति : जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्रेन डेड होने की घोषणा कर दी। इसकी जानकारी मनीषा के परिजनों को दी गई। साथ ही समन्वयक डॉ. विट्ठल शिंदे व डॉ. रूपाली नाईक ने अंगदान के लिए समुपदेशन किया। मनीषा के पिता रमेश पेंदाेर (65) व माता मंदा पेंदोर (50) ने अंगदान के लिए अनुमति दी। उसके बाद सभी दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी कर विभागीय अंग प्रत्यारोपण समिति को जानकारी दी गई। समिति ने प्रतीक्षा सूची की पड़ताल कर जरूरतमंद मरीजों के लिए अंगदान की प्रक्रिया पूरी की। मनीषा की एक किडनी आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल की 49 साल की महिला मरीज पर और दूसरी सरस्वती मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में 23 साल की महिला पर प्रत्यारोपित की गई। इस वर्ष यह जिले का 14वां अंगदान है। अब तक 144 अंगदान हो चुके हैं। समिति के अध्यक्ष डॉ. संजय कोलते व सचिव डॉ. राहुल सक्सेना ने यह जानकारी दी है।
540 ग्राम वजन के प्री-मैच्योर शिशु का सफल उपचार : शहर के नेल्सन मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल में 540 ग्राम वजन के प्री-मैच्योर शिशु का सफल उपचार किया गया। यह बच्चा 27 हफ्ते का था। नवजात को अस्पताल के डॉ. नीलेश दारवेकर की निगरानी में भर्ती किया गया था। मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की निवासी 27 साल की गर्भवती माता को नेल्सन अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसी अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ। वह प्री-मैच्योर होने के कारण उसका वजन केवल 540 ग्राम था। बच्चे की हालत देखते हुए उसे तुरंत एनआईसीयू में रेफर किया गया। बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। डॉक्टरों की टीम व नर्सिंग स्टॉफ ने दिन-रात एक कर बच्चे का उपचार किया। बच्चे के फेफड़ों में सर्फेक्टेंट दिया गया। सीपीएपी मशीन से प्रबंधन किया गया। 80 दिन तक तक उपचार करने के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ्य हुआ। वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश देवपुजारी के मार्गदर्शन में व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुचिता खडसे, नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नीलेश दारवेकर समेत पूरी टीम ने बच्चे के उपचार में सहयोग किया। अस्पताल की निदेशक राधा साहू, सीएफओ गणेश खरोडे, सेंटर हेड डॉ. सोनलकुमार भगत, बिजनेस हेड डॉ. एस.पी. राजन आदि ने टीम को बधाई दी है।
Created On :   14 April 2024 9:35 AM GMT