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आर्गन डोनेट: वरिष्ठ महिलाओं ने नाट्य मंचन के जरिए कैदियों को समझाया अंगदान का महत्व
- जेल में दीपस्वी यूनिटी फॉउंडेशन की मदद से भारुड़ (नाटक) से जनजागृति
- सेंट्रल जेल के करीब 250 कैदियों ने उठाया लाभ
- नाटक के माध्यम से अंगदान, देहदान के बारे में भी जानकारी दी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। समाज में मां, बहन, दादी, नर्स, रिसेप्शनिस्ट, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जैसे विभिन्न पदों के माध्यम से वह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हम सभी के जीवन में बदलाव लाती है। परिवर्तनकारी भूमिका में उनका सकारात्मक प्रभाव मन को झकझोर देने वाला है। सेंट्रल जेल के करीब 250 कैदियों ने ऐसा ही अनुभव किया, जब दान पावल हो फॉउंडेशन कीवरिष्ठ महिलाओं नेवरिष्ठ महिलाओं नेउन्हें अंगदान और देहदान का महत्व समझाया। फाउंडेशन के जरिए जेल में दीपस्वी यूनिटी फॉउंडेशन की मदद से भारुड़ (नाटक) से जनजागृति की गई।
गाने सुनाए गए : कार्यक्रम में जेल अधीक्षक वैभव आगे, जेल अधिकारी काले, जेल शिक्षक लक्ष्मण साल्वे के साथ दान पावल हो फाउंडेशन और भारुड़ की लेखक अनघा वेखंडे और जेल कर्मचारी उपस्थित थे। समूह की वरिष्ठ महिला कलाकार अनघा वेखंडे, नीलिमा देशपांडे, शोभा बावनकर, रेखा भारद्वाज, वनिता मुंगेलवार, वैशाली चरपे, वैशाली जोशी, अबोली कुलकर्णी ने नाटक का प्रदर्शन कर अंगदान का संदेश दिया। डॉ. संजय कोलटे के लिखे और गाए गाने दिखाए गए, साथ ही नाटक के माध्यम से अंगदान, देहदान के बारे में भी जानकारी दी गई।
इच्छुक बंदियों के आवेदन फार्म भरे जाएंगे : जेल में बंदियों के लिए अब तक मनोरंजन के साथ-साथ कानूनी कार्यक्रम भी होते रहे हैं, लेकिन जेल अधिकारी काले ने यह भावना व्यक्त की कि अंगदान जैसे मुद्दों पर जन जागरूकता और वह भी नाटक के माध्यम से जेल में पहली बार हुई है। साहब, क्या हम भी अंगदान कर सकते हैं? आठ-दस कैदियों ने अधिकारियों से पूछा। सजा और नियमों की जांच के बाद इन इच्छुक बंदियों के देहदान, अंगदान के आवेदन भरे जाएंगे।
डॉ. एपीजे कलाम सद्भावना पुरस्कार से नेहा सम्मानित : डॉ. एस. सी. गुल्हाने प्रेरणा कॉलेज ऑफ कॉमर्स, साइंस एंड आर्ट्स के कंप्यूटर विज्ञान विभाग की नेहा धरमदास समुंद्रे को शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए -"डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सद्भावना पुरस्कार-2024' से सम्मानित किया गया है। नेहा को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘आर्थिक और सामाजिक विकास में व्यक्तिगत योगदान' विषय पर नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक सेमिनार में प्रदान किया गया। नेहा ने स्लम इलाकों के युवा बच्चों में कंप्यूटर शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर उनमें कंप्यूटर शिक्षा के प्रति गहरी रुचि पैदा की है और उन्हें कंप्यूटर का जानकार बनाया है। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता धरमदास समुंद्रे और माता अनिता समुंद्रे देती को देती हैं।
Created On :   16 April 2024 8:07 AM GMT