अव्यवस्था: सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की किल्लत से परेशान हो रहे मरीज व उनके परिजन

सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की किल्लत से परेशान हो रहे मरीज व उनके परिजन
  • रोज औसत 200 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है
  • 50 फीसदी से अधिक रक्त का स्टॉक कम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के सरकारी अस्पतालों से जुड़ी ब्लड बैंको में रक्त की किल्लत है। शुक्रवार को ब्लड बैंकों में नाममात्र संग्रहण था। इस कारण जरूरतमंदों को रक्त के लिए भागदौड़ करनी पड़ रही है। शहर में चार सरकारी ब्लड बैंक है। इनमें डागा, मेयो, मेडिकल व सुपर स्पेशलिटी का समावेश है। शहर के सरकारी अस्पतालों में हर रोज औसत 200 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है। इस समय 50 फीसदी से अधिक रक्त का स्टॉक कम बताया जा रहा है।

गर्मी में 70 फीसदी रक्तदाता नहीं आते : प्राप्त जानकारी के अनुसार इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में हर रोज अधिकतम 40 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है। यहां की ब्लड बैंक में अब हर रोज 20 यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पा रहा है। सूत्रों ने बताया कि स्वेच्छा रक्तदाताओं के नहीं आने से रक्त संग्रहण में कमी आ चुकी है। 30 फीसदी रक्तदाता ही आ रहे हैं। 70 फीसदी रक्तदाता नहीं आ रहे हैं।

शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) की आदर्श ब्लड बैंक में हर रोज औसत 50 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है। यहां दो दिन पहले शिविर के माध्यम से रक्त संग्रहण हुआ है। इस समय यहां 100 यूनिट रक्त स्टॉक में है। यह मात्र दो दिन चलेगा। डागा स्मृति शासकीय महिला अस्पताल की ब्लड बैंक में हर रोज 40 से अधिक यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। यहां प्रसूति, सर्जरी आदि के दौरान रक्त की अधिक आवश्यकता होती है। यहां भी जरूरत के हिसाब से रक्त उपलब्ध नहीं है। मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशलिटी में हर रोज 30 यूनिट रक्त की आवश्यकता बताई जाती है। यहां भी रक्त की कमी महसूस की जा रही है।

हर साल मई में होती है किल्लत : सूत्रों ने बताया कि हर साल गर्मी बढ़ते ही रक्तदाताओं की संख्या कम हो जाती है। साथ ही शिविरों की संख्या भी कम होती है। इसलिए अप्रैल, मई व जून में रक्त की किल्लत होती है। सर्वाधिक किल्लत मई महीने में हाेती है। इस महीने मरीजों को जरूरत के हिसाब से रक्त उपलब्ध हो पाएगा या नहीं इसकी गारंटी नहीं होती। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को नि:शुल्क उपचार उपलब्ध होता है। लेकिन कई तरह की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। कभी डॉक्टर का उपलब्ध न होना, कभी दवाओं की कमी तो कभी रक्त की कमी से जूझना पड़ता है। रक्त की किल्लत के कारण मरीजों के परिजनों को निजी ब्लड बैंकों में मुंहमांगी कीमत देकर रक्त का जुगाड़ करना पड़ रहा है।


Created On :   11 May 2024 11:49 AM GMT

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