राजनीति: कृपाल तुमाने, परिणय फुके का पुनर्वसन, अब नागपुर जिले में हो गए 18 विधायक

कृपाल तुमाने, परिणय फुके का पुनर्वसन, अब नागपुर जिले में हो गए 18 विधायक
  • विदर्भ में बढ़ा उत्साह
  • अब विधानसभा चुनाव की तैयारी
  • मंत्रिमंडल में तुमाने को मिल सकता है स्थान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधान परिषद चुनाव में शिवसेना शिंदे गुट से कृपाल तुमाने व भाजपा से परिणय फुके की जीत को दोनाें नेताओं के राजनीतिक पुनर्वसन के रूप में देखा जा रहा है। उनकी जीत के साथ ही जिले में अब विधायकों की संख्या 18 हो जाएगी। इस चुनाव में महायुति के सभी उम्मीदवार जीते हैं। उनमें विदर्भ से 3 उम्मीदवारों की जीत को विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज से काफी उत्साह भरने वाला अवसर माना जा सकता है। खास बात है कि लोकसभा चुनाव में विदर्भ में दो सीटें गवां चुके शिवसेना शिंदे गुट को सबसे बड़ी राहत मिली है। विदर्भ में शिवसेना शिंदे गुट का उत्साह बढ़ा है।

शिंदे ने वादा निभाया : लोकसभा चुनाव में रामटेक क्षेत्र से कृपाल तुमाने को उम्मीदवारी नहीं दी गई थी। दो बार चुनाव जीते तुमाने को उम्मीदवारी नहीं मिलने से उनके समर्थक नाराज हुए थे। तुमाने ने कहा था कि वे उम्मीदवार रहते, तो रामटेक में महायुति पराजित नहीं होती। उम्मीदवारी के मामले में उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को विलेन यानी खलनायक भी कहा था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने वादा किया था कि तुमाने के त्याग को भुलाया नहीं जाएगा। उन्हें विधान परिषद में भेजने का वादा किया था। शिंदे ने वादा निभाया है। दावा तो यह भी है कि कुछ समय के लिए तुमाने को मंत्रिमंडल में स्थान देने की भी तैयारी चल रही है। कांग्रेस सेवादल में पदाधिकारी रहे तुमाने शिवसेना में सौम्य स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। 2009 में महायुति ने तुमाने को रामटेक लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने पराजित कर दिया, लेकिन 2014 के चुनाव में उसी क्षेत्र में वासनिक को पराजित कर तुमाने लोकसभा पहुंचे। 2019 में वासनिक ने चुनाव नहीं लड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार किशोर गजभिए को बतौर महायुति उम्मीदवार तुमाने ने पराजित किया। 2024 में सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तुमाने की उम्मीदवारी खारिज की गई थी।

विराेध के बाद भी फुके को मौका : फुके को लेकर भाजपा में अक्सर विरोध रहा है। श्रीकांत जिचकार के समय से फुके का परिवार कांग्रेस में रहा है। 2007 में फुके ने मनपा चुनाव निर्दलीय जीता था। बाद में वे देवेंद्र फडणवीस के करीबी बने। 2014 में फडणवीस मुख्यमंत्री बने, तो फुके का राजनीतिक कद बढ़ने लगा। 2017 में वे विधान परिषद की भंडारा-गाेंदिया स्थानीय निकाय संस्था सीट से चुनाव जीते। राकांपा नेता प्रफुल पटेल के सहायक राजेंद्र जैन को उन्होंने पराजित किया था। उन्हें राज्यमंत्री व दो जिलों का पालकमंत्री बनाया गया था। 2019 में साकोली विधानसभा क्षेत्र में वे कांग्रेस उम्मीदवार नाना पटोले से पराजित हो गए। इधर 2022 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद फुके राजनीतिक पुनर्वसन के लिए प्रयास कर रहे थे। भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र से उन्होंने उम्मीदवारी की दावेदारी भी की थी, लेकिन भाजपा में ही विरोध के कारण फुके को उम्मीदवारी नहीं मिल पाई। लोकसभा चुनाव में महायुति को पूर्व विदर्भ में काफी झटका लगा है। माना जा रहा है कि फुके की जीत पूर्व विदर्भ में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

विधायकों की संख्या बढ़ेगी : जिले में विधायकों की संख्या बढ़ जाएगी। जिले में विधानसभा की 12 सीटें हैं। इन 12 विधायकों के अलावा विधान परिषद सदस्य 6 होंगे। नागपुर स्थानीय निकाय संस्था क्षेत्र से चंद्रशेखर बावनकुले, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से सुधाकर अडबाले, स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से अभिजीत वंजारी, स्थानीय निकाय संस्था क्षेत्र से प्रवीण दटके विधान परिषद सदस्य हैं।


Created On :   13 July 2024 9:18 AM GMT

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