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अपील: तीन गंभीर मामलों को लेकर सरकार की ओर से अपील , नराधमों की फांसी कायम रखें
- फैसले के एक महीने के अंदर ही याचिका दायर
- तीनों नराधमों की फांसी कायम रखने की विनती
- प्रक्रिया को गति देते हुए राज्य सरकार ने की पहल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कनिष्ठ न्यायालय द्वारा दुर्लभ से दुर्लभ प्रकरण में फांसी की सजा सुनाने के बाद उसका क्रियान्वयन करने में काफी समय लग जाता है। दोषी फैसले के विरोध में और राज्य सरकार फांसी कायम रखने की विनती करने प्रथम उच्च न्यायालय व बाद में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है। इस प्रक्रिया को गति देते हुए राज्य सरकार ने नागपुर के दो प्रकरण और गोंदिया के एक प्रकरण में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने इन तीनों नराधमों की फांसी कायम रखने की विनती की है।
दुष्कर्म के बाद बेटी की हत्या : अपनी सोलह वर्षीय बेटी पर बार-बार अत्याचार कर उसे फांसी पर लटकाकर आत्महत्या दिखाने वाले नराधम बाप को पोक्सो विशेष न्यायालय व अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 21 मई 2024 को दोहरी फांसी व एक लाख 58 हजार रुपए दंड की सजा सुनाई थी। दोषी का नाम गुड्डू छोटेलाल रजक (40), देवीनगर, आजरी-माजरी, वांजरा कलमना है।
तिहरी फांसी का प्रकरण : पांच वर्षीय मासूम का अपहरण करने के बाद उस पर अत्याचार कर पत्थर से कुचलकर उसकी निर्मम हत्या करने वाले नराधम को जिला व सत्र न्यायालय ने 3 जून 2024 को तिहरी फांसी, 30 हजार रुपए दंड की सजा सुनाई थी। दोषी का नाम संजय देव पुरी (लिंगा, कलमेश्वर) है। तिहरी फांसी देने की नागपुर की यह पहली घटना है।
परिवार को जिंदा जलाया : गोंदिया के सूर्यटोला अग्निकांड में आरोपी किशोर शेंडे को पांच मई को गोंदिया जिला सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई। आरोपी किशोर शेंडे ने मध्य रात में बुजुर्ग ससुर देवानंद, पत्नी आरती और पांच वर्षीय बेटे जय को जिंदा जलाया था।
Created On :   26 Jun 2024 12:40 PM IST