कार्रवाई: आरटीओ में चोरी के रजिस्टर्ड वाहनों के मामले में अधिकारी बचे, तीन क्लर्क पर निलंबन की गाज

आरटीओ में चोरी के रजिस्टर्ड वाहनों के मामले में अधिकारी बचे, तीन क्लर्क पर निलंबन की गाज
  • महीनों चली लंबी जांच का परिणाम
  • बड़े अधिकारियों को छोड़ छोटों पर शिकंजा
  • आनन-फानन में कार्रवाई कर जिम्मेदारी से खानापूर्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्रामीण आरटीओ में चोरी के रजिस्टर्ड वाहनों की महीनों चली लंबी जांच का परिणाम सोमवार को सामने आया। इसमें अधिकारियों को बचाने तीन क्लर्क की ‘बलि’ ले ली गई। हालांकि संख्या पांच की बताई जा रही है, मगर अधिकारी केवल तीन की पुष्टि कर रहे हैं, बाकी का ऑर्डर नहीं आने की बात कर रहे हैं। विधानसभा में इस मुद्दे के उठाने की जानकारी के बाद विभाग ने आनन-फानन में यह कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी से खानापूर्ति की है। इधर, संबंधित बाबूओं का कहना है कि उन्होंने जो किया वह अधिकारियों के आदेश पर किया। वही जांच करते थे, मगर केवल हम पर ही कार्रवाई की गई। दैनिक भास्कर द्वारा लगातार इस मुद्दे पर खुलासे के बाद विभागीय जांच के आदेश हुए थे, जिस पर यह कार्रवाई की गई।

कुछ जिम्मेदार इंस्पेक्टरों को नॉन पब्लिक वर्क दिया : ग्रामीण आरटीओ में वाहनों के फर्जी दस्तावेज मामले में सोमवार को ग्रामीण आरटीओ से 3 क्लारिकल स्टाफ को निलंबित किया है, जिसमें वरिष्ठ लिपिक कुंदन वाडीघरे, कनिष्ठ लिपिक गजानन सोनोने व भारत गायकवाड शामिल हैं। इसके साथ ही कुछ इंस्पेक्टरों को नॉन पब्लिक वर्क दिया गया है। हालांकि उनके नाम अधिकारियों ने नहीं बताए। मामले को लेकर चल रही जांच रिपोर्ट को हाल ही में नाशिक आरटीओ की ओर से आयुक्त कार्यालय में सौंपा गया है, जिसके बाद परिवहन आयुक्त की ओर से यह आदेश दिए गए हैं। हालांकि इस निलंबन प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं मुख्य आरोपियों को बचाने की कोशिश करने की चर्चा चल रही है।

मुंबई पुलिस ने खोली थी पोल : नागपुर का ग्रामीण आरटीओ कार्यालय उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब मुंबई में दो चोरी के वाहन बरामद किये थे। इस वाहनों के इंजन नंबर व चेचिस नंबर मिलते नहीं दिखे थे। जांच करने पर इन वाहनों को बाहरी राज्य से महाराष्ट्र में लाकर नागपुर ग्रामीण और चंद्रपुर आरटीओ से इनका रजिस्ट्रेशन कराने की बात सामने आई थी। मामले ने तूल पकड़ा, तो पहले मुंबई पुलिस की ओर से जांच चली। इसके बाद नाशिक के आरटीओ के माध्यम से जांच करवाई गई। इसमें कई खुलासे हुए, जिसमें ग्रामीण आरटीओ से एक दो नहीं, बल्कि सैकड़ों गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन होने की आशंका बनी थी। इस मामले में नागपुर से कुछ दलालों को भी पकड़ा गया। वहीं कुछ अधिकारी भी सामने आए, जिनको मुख्य पद से हटाकर दूसरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

बाबू से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों का रोल : किसी भी वाहन के पंजीयन में शुरुआती स्तर पर विभाग के बाबू और इसके बाद जांच करने वाले इंस्पेक्टर और इसके क्रम में वरिष्ठ अधकारियों तक फाइल जाती है, जिन पर उनके हस्ताक्षर भी होते हैं। सभी की बिना सहमति के कोई भी वाहन रजिस्टर्ड नहीं हो सकता। ऐसे में केवल बाबूओं पर कार्रवाई करने से कई सवाल उठ रहे हैं।

आदेशानुसार निलंबन : परिवहन आयुक्त की ओर से आदेश आये हैं। उक्त तीनों कर्मचारियों फर्जी वाहन दस्तावेज के मामले में निलंबित किया गया है। - अशफाक अहमद महफूज अहमद, सहायक प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, नागपुर ग्रामीण

हाल ही में रिपोर्ट सौंपी गई है : इस मामले की जांच करने वाली टीम ने हाल ही में परिवहन आयुक्त को रिपोर्ट सौंपी है। इसके बाद यह कार्रवाई की गई। इस मामले में तीन के ऑर्डर आने की बात कही जा रही है। वहीं बाकियों का ऑर्डर अभी तक नहीं आने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि क्लारिकल स्टाफ द्वारा गलत जानकारी फीड की गई थी, जबकि इससे जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि क्लारिकल स्टाफ को अधिकारियों द्वारा जो कहा जाता है, वह वही करते हैं। ऐसे में उन्हें निलंबित करना मुख्य आरोपी को बचाने की ओर इशारा करने की बात खुद कर्मचारी कह रहे हैं।


Created On :   2 July 2024 12:30 PM IST

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