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खतरा: नवंबर में सबसे अधिक बढ़ा नागपुर का प्रदूषण स्तर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़े बता रहे हैं कि अक्टूबर के मुकाबले नवंबर महीने में प्रदूषण स्तर बढ़ गया। सिविल लाइंस, अंबाझरी, राम नगर और महल में वायु गुणवत्ता मापक यंत्र लगाए गए हैं। सभी वायु गुणवत्ता केंद्रों के प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वेबसाइट पर जारी किए गए। शहर की हवा में सूक्ष्म धूलकण का प्रमाण 2.5 दर्ज हुआ है। पर्यावरण अभ्यासक प्रा. सुरेश चोपने के अनुसार यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
स्वास्थ्य के लिए खतरा : मानवी स्वास्थ्य के लिए शून्य से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहतर माना गया है। 51 से 100 एक्यूआई समाधानकारक है, लेकिन पहले से बीमार लोगों के लिए हानिकारक है। 101 से 200 एक्यूआई दूषित श्रेणी में आता है और सभी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। 201 से 300 एक्यूआई अधिक प्रदूषित तथा स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। 301 से 400 एक्यूआई तथा उससे आगे का वायु गुणवत्ता सूचकांक स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
प्रदूषण के कारण : वाहनों की भरमार से रास्तों की उड़ती धूल और उसमें से निकलने वाला धुआं, निर्माणकार्यों से हवा में मिलते धूल कण, कचरा जलाना, स्थानीय उद्योग आदि प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। कचरे के ढेर से निकलने वाली गैस भी प्रदूषण स्तर बढ़ने का एक बड़ा कारण है। ठंड के मौसम में हवा की धीमी गति से प्रदूषणकारक जमीन पर स्थित हो जाते हैं। पहले ठंड का मौसम स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। वायु प्रदूषण बढ़ने से अब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो गया है।
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय : प्रदूषण स्तर बढ़ाने में वाहनों का धुआं, कचरा और कोयला जलाना, धूल आदि प्रमुख कारण हैं। पेड़ों की संख्या बढ़ाने, सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग, साइकिलिंग को बढ़ावा, कचरा जलाने पर रोक, उद्योगों से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगाने की सख्ती आदि उपाययोजन से प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। - सुरेश चाेपने, पर्यावरण अभ्यासक तथा पूर्व सदस्य केंद्रीय वन, पर्यावरण तथा जलवायु मंत्रालय नई दिल्ली
Created On :   2 Dec 2023 2:30 PM IST