बाघ: गांवों की दहलीज तक पहुंच रहे बाघ , वन विभाग को संभालना हो रहा है मुश्किल

गांवों की दहलीज तक पहुंच रहे बाघ , वन विभाग को संभालना हो रहा है मुश्किल
  • दक्षिण उमरेड में ज्यादा ही हो रहे बाघ के दर्शन
  • करांडला का जंगल सटा होने से विचरण
  • क्षेत्र की तलाश में जंगल से बाहर आ जाते हैं बाघ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वन विभाग के प्रादेशिक क्षेत्र में हर साल बाघों की संख्या बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण वाइल्ड लाइफ में बाघों का कुनबा बढ़ना है। प्रादेशिक में हर जगह इनकी संख्या नहीं बढ़ी है, बल्कि दक्षिण उमरेड में ज्यादा ही बाघ देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान स्थिति में यहां 16 से ज्यादा बाघ हैं। ऐसे में यह क्षेत्र की तलाश में गांव की दहलीज तक पहुंच रहे हैं।

बाघों के अनुकूल है क्षेत्र : नागपुर विभाग के प्रादेशिक जंगल में दक्षिण उमरेड बाघों की संख्या के लिए इसलिए ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां करांडला का जंगल है। जहां बाघिनों की संख्या ज्यादा है, वहीं क्षेत्र कम हैं। एक बाघ को रहने के लिए ज्यादा क्षेत्र की जरूरत होती है, जिसके कारण जब इन बाघिनों के शावक बड़े हो जाते हैं, तो वह क्षेत्र की तलाश में जंगल में अपना क्षेत्र तलाशते हैं। जंगल छोटा होने से व पहले से बाघों की मौजूदगी रहने से इन्हें बाहर निकलकर गांव की सीमा तक आना पड़ रहा है। इसी तरह यहां से ताड़ोबा के लिए वन्यजीव कॉरिडोर बना है। जब यह बाघ क्षेत्र की तलाश में निकलते हैं, तो बीच में दक्षिण उमरेड का क्षेत्र आता है, जो कि हरियाली से सराबोर व बड़ा क्षेत्र है। यहां बाघों की जरूरत की हर चीजें आसानी से मिल जाती हैं जैसे की खाना व पानी। ऐसे में बाघ यहीं थम जाते हैं। इसी तरह ठीक ताड़ोबा से निकलने वाले बाघ भी क्षेत्र की तलाश करते हुए समुद्रपुर, चिमूर को पार कर यहां तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है।

दहशत में रहते हैं लोग : नागपुर विभाग का दक्षिण उमरेड एक बड़ा क्षेत्र है, जहां धामनगांव, धामखेली, बेसूर, खीर्सी जैसे कुल 40 गांव शामिल हैं। इन सभी गांवों में लगभग 500 से ज्यादा घर बने हैं, जहां के लोग पूरी तरह से खेती पर निर्भर हैं, लेकिन अब उन्हें खेत में जाने में भी डर लग रहा है क्योंकि कभी-भी इनका बाघों से सामना हो जाता है। यहां बाघों की संख्या ज्यादा रहने से वन विभाग ने मुख्यालय से संसाधन व मनुष्य बल की मांग वर्षों पहले ही की थी, लेकिन अब तक नहीं मिल पाई है।

रास्ते पर ही रहते हैं बाघ : दक्षिण उमरेड के उदासा क्षेत्र में ग्रामवासियों में बाघ की दहशत बनी हुई है। गांव वालों का कहना है कि यहां उदासा से वेलसाखरा मार्ग पर एक बाघ नदी के पास छुपकर रहता है। वन विभाग के कुछ अधिकारियों ने भी इस बारे में पुष्टि की है।

Created On :   11 July 2024 8:27 AM GMT

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