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टाइगर: 6 साल में 160 बाघों की मौत , हर साल हो रही वृद्धि, लेकिन मौत का सिलसिला नहीं थम रहा
- ज्यादातर बाघों की प्राकृतिक मौत
- कुछ बाघ दुर्घटना, अवैध शिकार व करंट से भी मरे
- 400 से अधिक बाघ है राज्य में
डिजिटल डेस्क, नागपुर । बाघों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है, लेकिन इनकी मौत का सिलसिला भी खत्म नहीं हो रहा है। गत 6 साल में राज्य में 160 बाघों की मौत हुई है। ज्यादातर बाघों की प्राकृतिक मौत हुई। कुछ बाघ दुर्घटना, अवैध शिकार व कंरट का लगने मर रहे हैं। यह खुलासा वन मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों में हुआ है।
चालू वर्ष में अब तक 15 बाघों की हुई है मौत : वर्ष 2019 में 17 बाघों की जान गई, जिसमें 9 बाघ प्राकृतिक तौर पर मरे, 3 की दुर्घटना में मौत, 5 बाघों का शिकारियों ने शिकार किया। वर्ष 2020 में यह आंकड़ा बढ़ गया। कुल 18 बाघ की मौत हुई, जिसमें 9 की प्राकृतिक, एक की दुर्घटना में और 8 बाघों का अवैध रूप से शिकार किया गया। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 32 पर पहुंच गया, जिसमें प्राकृतिक मौत 21, केवल एक दुर्घटना का शिकार हुआ। 9 बाघों का शिकार हुआ। वर्ष 2022 में 29 बाघों की मौत हुई, जिसमें 13 की प्राकृतिक मौत हुई। 4 की सड़क दुर्घटना में और 7 बाघ का शिकार हुआ। वर्ष 203 में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा रहा। कुल 49 बाघों की मौत दर्ज हुई, जिसमें 26 की प्राकृतिक मौत हुई। 10 सड़क दुर्घटना में मारे गए। 13 अवैध शिकार बने। वर्ष 2024 में अब तक 15 बाघों की मौत हो चुकी है, जिसमें 8 की प्राकृतिक मौत हुई है। 2 की सड़क दुर्घटना में और 5 बाघों की मौत का कारण संदिग्ध है। यह जानकारी हाल ही में आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलाटकर के माध्यम से सामने आई है।
वर्तमान में राज्य में 400 से ज्यादा : वर्तमान में राज्य में 400 से ज्यादा बाघ मौजूद हैं। शावकों की संख्या अलग है। यानी भविष्य में महाराष्ट्र में बाघों की संख्या अपेक्षा से ज्यादा रहेगी, जो खुशी की बात है, लेकिन यह खुशी उस समय दुख: में तब्दील होती है, जब बाघों की मौत के मामले सामने आते हैं। वर्ष 2019 से वर्ष 2014 के मई माह तक राज्य में 160 बाघों की मौत दर्ज हुई है, जो सोचने पर मजबूर करती है।
Created On :   8 Jun 2024 4:13 PM IST