फैसला: फुटाला में स्थायी निर्माण पर रोक

फुटाला में स्थायी निर्माण पर रोक
  • हाई कोर्ट ने तालाब की सुरक्षा आैर संवर्धन के आदेश दिए
  • अदालत ने शर्तों के साथ किया जनहित याचिका का निपटारा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने फुटाला में चल रहे निर्माणकार्यों का विरोध करने वाली जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने फुटाला तालाब और उसके जलीय जीवन की गुणवत्ता को मुख्य रूप से ध्यान में रखा। राज्य सरकार ने इसकी सुनिश्चितता दी। कोर्ट के इस फैसले से अब फुटाला में म्यूजिकल फाउंटेन का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में फुटाला तालाब के सुरक्षा और संवर्धन के लिए नियम और शर्तों का पालन करने के आदेश दिए हैं। न्या. अतुल चांदूरकर और न्या. वृषाली जोशी ने यह फैसला सुनाया।

इसके पहले क्या हुआ : स्वच्छ फाउंडेशन ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका के माध्यम से कहा कि फुटाला तालाब में म्यूजिकल फाउंटेन नियमानुसार नहीं बनाया गया है। इसके निर्माणकार्य को स्थगिती देने की मांग की थी। दलील में कहा कि वेट लैंड होने से फुटाला में निर्माणकार्य करना अयोग्य है। यह पर्यावरणपूरक नहीं है। याचिका का विरोध करते हुए मेट्रो रेलवे ने कहा कि सभी विभागों की एनओसी लेकर निर्माणकार्य किया गया है। सभी आरोप बेबुनियाद हैं। फुटाला तालाब मानवनिर्मित है। वेट लैंड में मानव निर्मित तालाब आता नहीं है। फुटाला तालाब की सुरक्षा के सुनिश्चितता पर मनपा और मेट्रो रेलवे ने कोर्ट ने शपथ-पत्र भी दायर किया था। तब अदालत ने मनपा और मेट्रो रेलवे यह सुनिश्चित करने को कहा था कि तलाब के सुरक्षा की दृष्टि से वेटलैंड संरक्षण एवं प्रबंधन नियम, 2017 का कोई उल्लंघन न हो। इसके साथ ही अदालत ने तालाब में स्थायी निर्माणकार्य करने पर रोक लगा दी थी।

नियम व शर्तों का पालन करना होगा : हाई कोर्ट ने नियम और शर्तों का पालन करने का आदेश देते हुए कहा कि प्रशासन और सरकार इस तरह से फुटाला तालाब की सुरक्षा एवं संवर्धन करें कि भावी पीढ़ी भी तालाब को वर्तमान स्थिति में देख सके। आशा है कि ये अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।

नागरिकों की बात सुनी जाएगी : फुटाला तालाब की सुरक्षा के सुनिश्चितता को लेकर दिए शपथ-पत्र के आलोक में कोर्ट ने तालाब में किये जा रहे निर्माणकार्यों को विरोध करने वाली जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, किसी भी कार्य से तालाब को नुकसान हो रहा है तो कोई भी नागरिक इसकी जानकारी कोर्ट में दे सकता है, इस पर कोर्ट संज्ञान लेगा। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सत्यजित राजेशिर्के, एड. के. एस. नरवाडे, केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे, राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा, मेट्रो रेलवे की ओर से एड. आनंद परचुरे, माफसू की ओर से एड. अरुण पाटील, मनपा की ओर से एड. जेमिनी कासट और एनएमआरडीए की ओर से एड. सुधीर पुराणिक ने पैरवी की।

Created On :   1 Dec 2023 10:39 AM IST

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