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सरकार दे जवाब...: हाईकोर्ट ने कहा - विवेकानंद स्मारक लोगों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों
- स्वामी विवेकानंद स्मारक जल-प्रवाह में बाधा डाल रहा
- सर्वे के नाम पर विवेकानंद स्मारक को बचाने का प्रयास कर रही सरकार
- अंबाझरी तलाब जहां ओवरफ्लो होता है, उसी जगह पर विवेकानंद स्मारक बनाया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अंबाझरी तालाब के पास निर्मित स्वामी विवेकानंद स्मारक जल-प्रवाह में बाधा डाल रहा है, यह खुद सिंचाई विभाग ने स्पष्ट किया है। इसके बावजूद सरकार अपनी ही नीति के खिलाफ जाकर सर्वे के नाम पर विवेकानंद स्मारक को बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? सरकार के लिए स्मारक लोगों की जान से ज़्यादा महत्वपूर्ण क्यों है? यह सवाल करते हुए बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही रिकार्ड पर रखे गए दस्तावेजों के आधार लेते हुए कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में शासन-प्रशासन अपना निहित स्वार्थ सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं।
अध्ययन के लिए समय की मांग : नागपुर खंडपीठ ने अंबाझरी स्थित स्वामी विवेकानंद स्मारक को उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति को 10 जून तक निर्णय लेने के आदेश दिए थे। इसी के चलते नागपुर विभागीय आयुक्त विजयालक्ष्मी बिदरी ने हाई कोर्ट में शपथ-पत्र दायर करते हुए विवेकानंद स्मारक के स्थानांतरण को लेकर अध्ययन के लिए 9 महीने का समय देने का कोर्ट से अनुरोध किया है। बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई।
सरकार को फटकार : कोर्ट ने कहा कि अंबाझरी तलाब जहां से ओवरफ्लो होता है, उसी जगह पर विवेकानंद स्मारक निर्मित किया गया है। सिंचाई विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि विवेकानंद स्मारक अंबाझरी के जल-प्रवाह में बाधा डाल रहा है। इतनी स्पष्टता होने के बाद भी सरकार को सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन द्वारा 9 महीने तक स्मारक के अध्ययन जरूरत क्या है? इस पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाने पर कोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए शुक्रवार 14 जून तक स्पष्टीकरण मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने पैरवी की।
नियम क्या कहता है : कोर्ट ने कहा कि सिंचाई विभाग के नियमानुसार, बांध के 30 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण अवैध होगा। सिंचाई विभाग के सर्कुलर के आधार पर विवेकानंद स्मारक प्रतिबंधित क्षेत्र में यानी -"नो डेवलपमेंट जोन' में आता है। फिर भी खुद की नीति के खिलाफ जाकर सरकार स्मारक का अध्ययन करना चाहती है। इसका मतलब विशेषज्ञता के बिना ही सिंचाई विभाग ने यह नियम बनाया है क्या? यह भी सवाल कोर्ट ने सरकार से किया।
मानसून शुरू होने वाला है, समस्या दोबारा न हो : गठित उच्च स्तरीय समिति से अंबाझरी तलाब के पानी के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने की अपेक्षा की गई थी। मानसून शुरू होने वाले हैं और अब तक काम की दिशा स्पष्ट नहीं है। इतना ही नहीं, अधिकारी उस क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से अनजान हैं। यह सब बातें ध्यान में लेते हुए कोर्ट सभी अधिकारियों को जमकर फटकारा। साथ ही शहर में बाढ की समस्या दोबारा न हो, इसलिए सभी अधिकारियों को संतोषजनक जवाब दायर करने के आदेश दिए।
Created On :   13 Jun 2024 11:36 AM IST