घपलेबाजी: बोखारा ग्राम पंचायत में बड़ा घोटाला, करोड़ रुपए से अधिक खर्च का न बिल, न ही कोई हिसाब

बोखारा ग्राम पंचायत में बड़ा घोटाला, करोड़ रुपए से अधिक खर्च का न बिल, न ही कोई हिसाब
  • पुस्तिका में कहीं भी जानकारी दर्ज नहीं, मनमाना खर्च
  • कठघरे में सरपंच और सचिव
  • पद दुरुपयोग का आरोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर सीमा से सटी बड़ी ग्राम पंचायतों में से एक बोखारा में बड़ा घोटाला होने का खुलासा जांच समिति ने किया है। यहां के सरपंच, वर्तमान व पूर्व ग्रामविकास अधिकारी व सचिव ने विकास कार्य के लिए लगने वाली सामग्री मंजूर ई-टेंडर प्रक्रिया के निर्धारित दामों पर न खरीदकर अधिक दाम पर खरीदे हैं। 2515 शीर्ष अंतर्गत काम के बिल व हाजिरी पुस्तिका नहीं होने के बावजूद भुगतान किया गया है। अपने पदों का दुरुपयोग कर गैर-व्यवहार किए जाने का खुलासा जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि वर्ष 2023-24 में ही सामान्य निधि में जमा रकम विविध कारण बताकर अपनी मर्जी से खर्च की गई, जिसका रोकड़ पुस्तिका में उल्लेख नहीं किया गया। इस बारे में भी आपत्ति दर्ज कराई गई है। करीब 50 कामों पर 1 करोड़ 6 लाख 32 हजार 398 रुपए खर्च किया गया। इसमें से 10 लाख 52 हजार 364 रुपए नकद खर्च किया गया। इसमें भी अनियमितता हाेने का खुलासा जांच रिपोर्ट में किया गया है।

जांच के लिए बनाई समिति : सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बोखारा ग्रामपंचायत में घोटाले का मुद्दा जिला परिषद की स्थायी समिति की बैठक में जिप उपाध्यक्ष कुंदा राऊत, सदस्य नाना कंभाले ने उठाया था। उन्होंने मामले की जांच की मांग की थी। इसके बाद अध्यक्ष मुक्ता कोकड्डे ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच के लिए नागपुर पंचायत समिति के बीडीओ व दो विस्तार अधिकारियों की समिति तैयार कर जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समिति की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सरपंच भाऊराव गोमासे, तत्कालीन ग्रामसेवक ज्ञानेश्वर नेहारे, तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी विष्णु पोटभरे, सचिव सचिन पाटिल आदि ने पदों का दुरुपयोग किया है।

ऐसे की अनियमितता : जांच रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत बोखारा अंतर्गत विविध विकास कामों के लिए सामग्री खरीदने ई-टेंडरिंग व ऑफलाइन टेंडर बुलाने के लिए सरकारी नियमों का उल्लंघन किया गया। इसी साल विकास कामों के लिए मंजूर सामग्री आपूर्ति करने वालों को मंजूर दामों पर सामग्री आपूर्ति करनी थी, लेकिन नियमों का उल्लंघन किया गया। ग्रामविकास अधिकारी ने कोई कार्यवाही नहीं की, इसलिए उन्हें भी अनियमितता का दोषी बताया गया है।

सचिव ने निकाली नकद राशि : जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जनप्रतिनिधियों के सूचीबद्ध विकास कार्यों में योजना 2515 अंतर्गत सीमेंट रास्ते, भूमिगत नाली का निर्माण, सुरक्षा दीवारें आदि कामों की मजदूरी कुल 30 लाख रुपए संबंधितों के बैंक खातों में जमा करना बंधनकारी था, लेकिन सचिव ने यह राशि चेक से निकालकर बाद में मजदूरों को नकद वितरीत की। इस तरह सचिव ने अनियमितता की है।

Created On :   25 Jun 2024 11:30 AM IST

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