आयोजन: महाविद्यालय से सामाजिक लक्ष्यों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली : न्या. सांबरे

महाविद्यालय से सामाजिक लक्ष्यों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली : न्या. सांबरे
  • डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर लॉ कॉलेज में 3 दिवसीय "जस्टा कॉजा' महोत्सव
  • कॉलेज में प्राचीन सिक्कों और पांडुलिपियों की प्रदर्शनी
  • मोबाइल ने संचार का माध्यम बदल दिया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कानून के क्षेत्र में उच्चतम मानक और जीवन की यात्रा में सर्वोत्तम क्या करना है, इसकी शिक्षा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर लॉ कॉलेज से मिली है। यहीं से सोचने की क्षमता के साथ-साथ सामाजिक लक्ष्यों के लिए लड़ने की प्रेरणा भी मिली। उक्त विचार बॉम्बे हाई कोर्ट नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय न्यायमूर्ति नितीन सांबरे ने व्यक्त किए। वह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर लॉ कॉलेज में आयोजित 3 दिवसीय "जस्टा कॉजा' राष्ट्रीय कानून महोत्सव में बोल रहे थे। उद्घाटन समारोह में वह मार्गदर्शन कर रहे थे। अध्यक्षता नागपुर विवि के प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे और मुख्य अतिथि के रूप में प्र-कुलगुरु डॉ. संजय दुधे, लॉ कॉलेज के प्रा. डॉ. रविशंकर मोर, संयाेजक डॉ. प्रवीणा खोब्रागडे उपस्थित थे।

समस्याओं का समाधान हो : न्या. सांबरे ने कहा कि उन्हें इस कॉलेज का पूर्व छात्र होने पर गर्व है और इस कार्यक्रम के मौके पर दोबारा यहां आने से वह खुश हैं। वह 1988 में इस कॉलेज में शामिल हुए थे। शैक्षणिक सत्र 1991-92 में छात्रसंघ चुनाव में वह अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। उस समय उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी कॉलेज छात्र संघ के प्रतिनिधि थे। उन्होंने विद्यार्थियों से ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेकर और मेहनत कर समाज की समस्याओं का समाधान करने की अपील की। कार्यक्रम का प्रास्ताविक डॉ. मोर ने किया। संचालन सुप्रिया रानडे एवं हर्षदा और आभार प्रदर्शन डॉ. प्रवीणा खोब्रागडे ने किया। कार्यक्रम में महाराष्ट्र एवं गोवा बार काउंसिल के अध्यक्ष एड. पारिजात पांडे, एड. फिरदौस मिर्जा उपस्थित थे।

प्रदर्शनी का उद्घाटन : "जस्टा काॅजा' महोत्सव के अवसर पर कॉलेज में प्राचीन सिक्कों और पांडुलिपियों की प्रदर्शनी शुरू की गई है। उद्घाटन डाॅ. प्रशांत बोकारे ने फीता काटकर किया। प्र-कुलगुरु डॉ. संजय दुधे और प्रबंधन परिषद के सदस्य डाॅ. समय बनसोड उपस्थित थे।

प्रगति के साथ मुकदमे बढ़े : प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे ने कहा कि पहले मोबाइल फोन नहीं होने से संचार का माध्यम अलग था। अब मोबाइल ने संचार का माध्यम बदल दिया है और इसने सोच को भी बदलना शुरू कर दिया है। संचार माध्यमों ने प्रगति कर ली है, लेकिन अदालतों में मुकदमों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। प्रौद्योगिकी और संचार में वृद्धि के बावजूद समाज में एक खाई है। न्याय देते हुए दोनों पक्षों के बीच संवाद बढ़ाने की अपील की।


Created On :   16 March 2024 5:49 PM IST

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