लचर कामकाज: लाखों रुपए के सागौन तस्करी के आरोपी अभी भी वन विभाग की पकड़ से दूर, नहीं मिल रहा कोई सुराग

लाखों रुपए के सागौन तस्करी के आरोपी अभी भी वन विभाग की पकड़ से दूर, नहीं मिल रहा कोई सुराग
  • मौके पर मिले मजदूरों के इर्द-गिर्द घूम रही जांच
  • वन विभाग की सुस्त चाल से आरोपी पकड़ से दूर
  • 30 लाख से ज्यादा की लकड़ा तस्करी का है मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर प्रादेशिक वन विभाग ने 2 दिन पहले 25 से 30 लाख रुपए की सागौन की लकड़ी पकड़ी थी। हैरानी की बात यह है कि, अभी तक वन विभाग मुख्य आरोपी तक नहीं पहुंच पाया है। केवल मौके पर पकड़े गए मजदूरों के इर्द-गिर्द जांच घूम रही है, इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले में इस क्षेत्र से जुड़े कई बड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, यहीं कारण है कि वन विभाग की चाल सुस्त नजर आ रही है। यदि विभाग ईमानदारी से मामले की जांच करता है, तो कई बड़ी मछलियां पकड़ में आ सकती है। पहले दिन सदर थाने में इस मामले में लिप्त 4 आरोपियों को लाया गया था, लेकिन वर्तंमान में थाने में कोई आरोपी नहीं है। वन विभाग अब तक मुख्य आरोपी को पकड़ नहीं पाई है।

यह है मामला : मंगलवार को तड़के वन विभाग प्रादेशिक नागपुर की टीम ने गश्त के दौरान पारडी क्षेत्र में प्रकाश कृषि विद्यालय के बगल में एक व्यक्ति के खाली प्लॉट में ट्रक खड़ा देखा, जिसमें सागौन की लकड़ियां भरी जा रही थीं। टीम की नजर पड़ते ही सभी मजदूर भाग गए, लेकिन ट्रक में चाबी लगी थी। परिसर की तलाशी लने पर झाड़ियों में कुछ मजदूर छिपे हुए दिखाई दिए। इन मजदूरों को वन विभाग ने हिरासत में लेकर लकड़ियों के बारे में पूछताछ की। उनके पास कोई दस्तावेज नहीं थे, जबकि लकड़ी को ट्रांसपोर्ट करने के लिए टीपी की जरूरत होती है। ऐसे में वन विभाग ने सागौन की लकड़ियों से भरा ट्रक जब्त कर लिया, लेकिन दो दिन 8 मजदूरों को हिरासत में रखने के बाद भी वन विभाग यह पता नहीं लगा पाया है कि, सागौन की लकड़ी कहां से लायी थी, और कहां जा रही थी। किसने लायी, किसकी है, यह भी पता नहीं लग पाया है।

एक रुपया घन मीटर के हिसाब से ट्रक भरा : वन विभाग ने पहले दिन इसे मात्र 3 लाख का बताया था, लेकिन सूत्रों की माने तो यह एक ट्रक भरकर माल है, जो एक रुपया घन मीटर के हिसाब से 25 से 30 लाख का होता है।

मामले को रफा-दफा करने का दबाव : आरामशीन से जुड़े कुछ व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, गत 6 माह से लकड़ियों की कालाबाजारी शुरू है, जिसमें वन विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारी लिप्त हैं। कार्रवाई केवल नाम के लिए हुए है। इससे जुड़े लोगों का नाम वन विभाग छिपा रहा है। वही वन विभाग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि, इस मामले को लेकर उन पर काफी दबाव है। वरिष्ठ स्तर से विभिन्न लोगों के फोन मामले को दबाने के लिए आ रहे हैं।

प्लॉट भी किराए पर लिया था : सूत्रों के अनुसार सागौन की लकड़ी जिस प्लॉट पर पकड़ी गई, वह प्लॉट किराए पर लिया गया है। यह किसी सामान्य व्यक्ति का प्लॉट है, इसे एक आरा मशीन संचालक ने किराए पर लिया था। यहां लंबे समय से यह प्रक्रिया दोहराने के संकेत मिल रहे हैं।

मध्यप्रदेश से भारी मात्रा में होती है तस्करी : मध्यभारत में नागपुर लकड़ा व्यापार का हब है। नागपुर की लकड़ा मंडी सैंकड़ों साल पुरानी है। जानकारों के अनुसार नागपुर मंडी एशिया की बड़ी लकड़ा मंडी में शामिल है। यहां के आरामशीन संचालक नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से लकड़ा खरीदकर आरामशीन पर काटते हैं। लकड़े की कटाई के बाद उसे दूसरों राज्यों जैसे दिल्ली, कलकत्ता, हैदराबाद, मुंबई के साथ ही अन्य शहरों में भेजा जाता है। नागपुर में महाराष्ट्र के साथ ही मध्यप्रदेश से भारी मात्रा में लकड़ा खरीदा जाता है। उसी प्रकार मध्यप्रदेश से बड़ी मात्रा में लकड़े की तस्करी भी होती है। कई बार सब्जियों, अनाज या अन्य सामग्री के बीच रखकर सावनेर और रामटेक मार्ग से लकड़ा नागपुर मंडी में लाया जाता है।

फॉरेस्ट अधिकारियों की नाक के नीचे होती है कटाई : लकड़गंज की अधिकांश आरामशीनें कापसी में शिफ्ट हो गई है। इसीलिए कापसी में वनविभाग की चौकी बनाई गई है। वनविभाग की इस चौकी के आस-पास कई आरामशीने है। तस्करी वाला माल भी इन्ही मशीनों में काटा जाता है। सूत्रों की मानें तो वन कर्मियों को भी तस्करी वाले माल की जानकारी होती है। कई बार पकड़े जाने पर भी मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। मामले को भी रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन मीडिया में आने के बाद यह टेढ़ी खिर साबित हो रहा है।

Created On :   3 May 2024 3:08 PM IST

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