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फजीहत: यह तो हद हो गई, गड्ढा बुझाने के लिए गया वाहन ही गड्ढे में फंस गया
- मनपा के सड़क दुरूस्ती के दावों की खुली पोल
- गड्ढों को बुझाने के नाम पर करोड़ों किए जा रहे खर्च
- नागरिकों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया वीडियो
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले कई सालों से शहर के गड्ढों को बुझाने के नाम पर मनपा का लोककर्म और हाटमिक्स प्लांट विभाग करोड़ों का खर्च कर रहा है, लेकिन शहर के गड्ढों को बुुझने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। इस साल भी मनपा आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी ने आपदा उपाययोजना की बैठक में गड्ढों को पाटने को प्राथमिकता से पूरा किया। अधिकारियों ने आयुक्त के आदेश का पालन कर करोड़ों रुपए से गड्ढों को पाट भी दिया, लेकिन सोमवार को नरेन्द्र नगर में गड्ढा बुझाने गए वाहन के ही गड्ढें में फंसने से सारे कारनामे की पोल खुल गई। हैरानी यह है कि इस जगह को महज चंद दिनों पहले मनपा के ही सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की अधीक्षक अभियंता श्वेता बनर्जी के निर्देश पर सीमेंटीकरण कर दुरूस्ती किया गया है। हैरानी यह है कि इस मामले में अधीक्षक अभियंता की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
क्या है मामला : सोमवार को पुलिस नियंत्रण कक्ष को नरेन्द्र नगर पुल के समीप तीन बड़े गड्ढों को लेकर शिकायत मिली। इस आधार पर मनपा को शिकायत को भेजा गया। मनपा के हाटमिक्स प्लांट की ओर से इंस्टापैच मशीन को गड्ढों की दुरूस्ती के लिए करीब 11.30 बजे भेजा गया। तीन में से दो गड्ढों को पाटने के बाद पेट्रोल पंप के समीप वाहन पहुंचने लगा तभी मिट्टी के दलदल में वाहन फंस गया। इस वाहन को निकालने में करीब 3 घंटो का समय लगा। गड्ढों को बुझाने के वाहन के ही फंस जाने को लेकर नागरिकों ने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया। इस सीमेंट के मजबूत रास्ते को अमृत-2 योजना में खुदाई कर 1 माह पहले पाइप-लाइन डाली गई है। इसके बाद दुरूस्ती के नाम पर सीमेंट की परत भी चढ़ाई गई थी। हालांकि पहली ही बरसात में परत के हटने से दुरूस्ती के दावों की पोल खुल गईं।
पुलिस नियंत्रण कक्ष से मिला निर्देश : करीब पांच साल पहले शहर में गड्ढों की स्थिति को लेकर बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर हुई थी। याचिका में गड्ढों को लेकर मनपा प्रशासन पर आपराधिक मामले दर्ज करने की मांग की गई थी। मनपा और पुलिस प्रशासन को संयुक्त जवाबदेही देकर गड्ढों को बुझाने का निर्देश दिया गया था, किंतु मनपा की ओर से अब भी प्रतिवर्ष 5 करोड़ रुपए के खर्च हाटमिक्स प्लांट से गड्ढों को पाटा जाता है, किंतु बरसात में दोबारा से सड़क खराब हो जाती हैं।
आला अधिकारियों से प्रतिसाद नहीं : पूरे मामले में मनपा प्रशासन से लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में मनपा आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी, अधीक्षक अभियंता श्वेता बनर्जी और हाटमिक्स प्लांट के कार्यकारी अभियंता अजय डहाके ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
Created On :   23 July 2024 4:33 PM IST