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कोर्ट कचहरी: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गोदरेज इंडस्ट्रीज को दी गई आयकर विभाग की नोटिस को किया रद्द
- आयकर विभाग ने गोदरेज को धारा 148ए(बी) के तहत जारी किया था कारण बताओ नोटिस
- गोदरेज इंडस्ट्रीज की ओर से वरिष्ठ वकील पी.जे.पारदीवाला और वकील जीत कामदार की याचिका पर सुनवाई
- मौजूद कानून के आधार पर किया जाना चाहिए
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गोदरेज इंडस्ट्रीज को आयकर विभाग (आईटी) के कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि यह कानून की दृष्टि से खराब था। आईटी विभाग ने गोदरेज को धारा 148ए(बी) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
न्यायमूर्ति बी.पी.कोलाबावाला और नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष गोदरेज इंडस्ट्रीज की ओर से वकील वरिष्ठ वकील पी.जे.पारदीवाला और वकील जीत कामदार की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में मई 2021 और जुलाई 2022 में आईटी विभाग द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि वे (कारण बताओ नोटिस) पहले के नोटिस के तहत पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही के लंबित होने के दौरान जारी किए गए थे। इसलिए यह अवैध थे। खंडपीठ ने कहा कि नोटिस की वैधता का आकलन आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत नोटिस जारी होने की तारीख पर मौजूद कानून के आधार पर किया जाना चाहिए। इस प्रकार यह देखते हुए कि वित्त अधिनियम 2021, 31 जुलाई 2022 को अधिनियमित किया गया था। निर्धारण वर्ष 2014-15 के लिए धारा 148 के तहत कोई नोटिस 1 अप्रैल 2021 के बाद जारी नहीं किया जाना चाहिए था।
गोदरेज की ओर से पेश वकील वरिष्ठ वकील पी.जे.पारदीवाला ने दलील दी थी कि आयकर अधिनियम (आईटी अधिनियम) की मूल धारा 149 (1) (बी) के अनुसार छह महीने के भीतर धारा 148 तहत नोटिस जारी किया जाना चाहिए। आईटी अधिनियम की धारा 148 मूल्यांकन अधिकारी (एओ) को ऐसे करदाता को नोटिस भेजने का अधिकार देती है, जिसकी आय का उचित मूल्यांकन नहीं किया गया है। आईटी विभाग की ओर से पेश वकील सुरेश कुमार ने दलील दी गई थी कि कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन) अधिनियम 2020 में प्रावधान थे, जो समय सीमा के विस्तार की अनुमति देते थे। इसके आधार पर गोदरेज को 21 मई 2021 में कारण बताओ नोटिस दिया गया था।
Created On :   3 March 2024 7:20 PM IST