- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को...
Mumbai News: सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को सरकार से आवंटित फ्लैट खाली करने का निर्देश

- अदालत ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को सरकार द्वारा उसे आवंटित फ्लैट खाली करने का दिया निर्देश
- अदालत का फैसला
- सरकार द्वारा आवंटित व्यक्ति केवल अधिग्रहीत परिसर के कानूनी कब्जे पर ही माने जाने योग्य होगा
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि एक सरकार द्वारा आवंटित व्यक्ति महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम 1999 के तहत किसी संपत्ति पर कानूनी कब्जा नहीं रखता है, तो उसे अधिनियम की धारा 27 के तहत किरायेदार नहीं माना जा सकता है। अदालत ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को सरकार द्वारा उसे आवंटित फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पी.पूनीवाला की पीठ ने सिरिल रिबेरो की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि बिना किसी अधिकार के संपत्ति पर कब्जा जारी रखना किसी सरकार से आवंटित व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद भी अधिग्रहीत परिसर पर कब्जे के आधार पर किराएदार का दर्जा नहीं देता है। पीठ ने माना कि धारा 7(2)(बी) में कब्जा का अर्थ कानूनी कब्जा होगा और यदि कोई व्यक्ति 7 दिसंबर 1996 से पहले सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो चुका है और उसके खिलाफ 7 दिसंबर 1996 से पहले बेदखली का आदेश पारित किया गया है, तो ऐसे व्यक्ति को धारा 7(2)(बी) के तहत कब्जा में नहीं माना जा सकता है। पीठ ने सेवानिवृत्त कर्मचारी को फ्लैट का खाली करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता के पिता उस इमारत के मालिक थे, जिसमें वह फ्लैट स्थित है। 1982 में राज्य सरकार के अधिकारियों ने उस फ्लैट का अधिग्रहण किया था और उसे सरकारी कर्मचारी बी.एम.घाटवई को उनके निवास के लिए आवंटित किया था। 1990 में वह राज्य सरकार की सेवा से सेवानिवृत्त हो गए। 1995 में महाराष्ट्र भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1948 के तहत उन्हें फ्लैट खाली करने के लिए को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उनसे पूछा गया था कि ग्राहक संस्था मंच एवं अन्य 1994 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर उन्हें फ्लैट खाली क्यों नहीं करना चाहिए? जिसमें माना गया है कि अधिग्रहण अधिनियम के तहत परिसर का अनिश्चितकालीन अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है।
इसके बाद मार्च 1996 में राज्य सरकार के आवास नियंत्रक ने एक बेदखली आदेश पारित किया, जिसमें घाटवई को फ्लैट का कब्जा सौंपने का निर्देश दिया गया। यह कहा गया कि फ्लैट लगभग 13 वर्षों से उनके अधीन है, इसलिए इसे जल्द से जल्द अधिग्रहण से मुक्त करना आवश्यक है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाई कोर्ट को वापस भेज दिया था।
Created On :   24 April 2025 9:25 PM IST