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चिंता का विषय: प्रतिस्पर्धा के दबाव की वजह से 13-18 साल के किशोर हो रहे तनाव का शिकार
- मेडिकल कॉलेज में हर महीने 20 बच्चे आ रहे उपचार कराने
- बच्चों पर बेवजह दबाव नहीं बनाना चाहिए
- उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं
डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे| प्रतिस्पर्धा का दबाव, पारिवारिक विवाद और अपेक्षाओं के चलते 13 से 18 साल के किशोर तनाव का शिकार हो रहे हैं। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के मनोचिकित्सा विभाग में हर महीने तनावग्रस्त 20 बच्चे उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। विभाग में इन बच्चों का समुपदेशन व उपचार किया जा रहा है। उपचार से किशोर ठीक तो हो रहे हैं, लेकिन कम उम्र में इनका तनावग्रस्त होना चिंता का विषय है।
मेडिकल मनोचिकित्सा विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि उनके विभाग की मासिक अोपीडी 2400 है। इनमें विविध मनोविकार का समावेश होता है। इनमें अधिकतम 20 किशोर तनावग्रस्त होते हैं। उनकी आयु 13 से 18 साल के बीच है। उपचार के दौरान इनका विविध स्तर पर समुपदेशन किया जाता है। बातचीत में वह कारण सामने आते हैं, जिससे किशोर तनावग्रस्त होते हैं। सर्वाधिक तनाव स्पर्धात्मक दबाव के कारण होता है। पारिवारिक अपेक्षा भी इसमें एक अहम कारण है।
तनाव के प्रमुख कारण
पारिवारिक विवाद
तंगहाली
शिक्षा में पिछड़ना
मजाक बनाना
खेल-कूद पर रोक
ऐेसे दिखते हैं बदलाव : तनावग्रस्त बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगता। वे दाेस्तों, रिश्तेदारों व लोगों से मिलने में संकोच करते हैं। एकांत में रहने लगते हैं। चिंताग्रस्त रहते हैं। उनके व्यवहार में झुंझलाहट होती है। इन किशोरों को अच्छी नींद नहीं आती।
सामान्य रखना परिवार की जिम्मेदारी
डॉक्टरों के अनुसार बच्चों पर बेवजह दबाव नहीं बनाना चाहिए। उनके खेलकूद से लेकर पढ़ाई तक की समय सारिणी होनी चाहिए। उन्हें घुमाने ले जाएं और रचनात्मक कार्य में लगाएं। आहार पर विशेष ध्यान दें। असामान्य बदलाव की स्थिति में सहजता और प्यार से बात करें, ताकि वह आसानी से मन की बात कह सके। अधिक समस्या दिखने पर मनोचिकित्सक के पास ले जाए।
उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं
डॉ. मनीष ठाकरे, अध्यक्ष, साइक्रियाटिक सोसाइटी के मुताबिक मनोचिकित्सा विभाग में हर महीने 13 से 18 आयु वर्ग के 20 किशोर उपचारार्थ आते हैं। उनमें विविध कारणों से तनाव की स्थिति होती है। तनाव का सबसे बड़ा कारण स्पर्धात्मक अपेक्षा व दबाव है। उनका समुपदेशन, बातचीत करने के बाद अनेक कारण सामने आते हैं। माता-पिता समेत पारिवारिक सदस्यों काे किशोरों से कैसा व्यवहार करना चाहिए, यह समझाना पड़ता है। कुछ दिनों तक उपचार के बाद वे सामान्य हो जाते हैं।
Created On :   13 April 2024 7:36 PM IST