नाराजगी: रिक्त पदों के कारण बार-बार सुनवाई स्थगित करने पर हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

रिक्त पदों के कारण बार-बार सुनवाई स्थगित करने पर हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
  • सरकारी वकील कार्यालयों में पदों की कमी
  • प्रलंबित मामले शीघ्र निपटाने के दिए आदेश
  • लोग हो रहे परेशान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने पूरे राज्य में सरकारी वकील कार्यालयों में रिक्त पदों के कारण मामले में बार-बार सुनवाई स्थगित करने पर महाराष्ट्र विधि एवं न्याय विभाग को जमकर फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने कर्मचारियों के पुनगर्ठन के लिए जल्द उचित कदम उठाने के आदेश दिए। इसके अलावा कोर्ट ने प्रलंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए कानून अधिकारियों को उचित सहायता सुनिश्चित करने को भी कहा।

इस प्रकरण के दौरान उठा मामला : स्वामिनी महिला बचत गट द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ दायर याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। तब सरकारी वकील कार्यालयों में कर्मचारियों के रिक्त पदों का मुद्दा उठाया गया। अतिरिक्त सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने भी इसका समर्थन किया। कोर्ट ने अपने निरीक्षण में कहा कि पिछले सप्ताह कुल सूचीबद्ध मामलाें में से लगभग 50 प्रतिशत बोर्ड को विभिन्न सरकारी कार्यालयों से सूचना के अभाव में या उत्तरों को मसौदा तैयार करने का कारण बताकर स्थगित किए गए। इसलिए बार-बार मामलों पर सुनवाई स्थगित करने पर कोर्ट ने नाराजी जताते हुए सरकार को फटकार लगाई।

यह निर्देश भी दिए : साथ ही कोर्ट ने संबंधित विभाग के प्रधान सचिव को 30 अप्रैल से पहले इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में शपथ-पत्र दायर करने को कहा। प्रधान सचिव को स्थिति का जायजा लेने के लिए महाधिवक्ता के साथ संबंधित मुख्य सरकारी वकीलों की बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया गया। कोर्ट ने विभाग के संयुक्त सचिव को इस आदेश के बारे में प्रधान सचिव और एमपीएससी के उच्च अधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए हैं, जिन्हें संयुक्त सचिव द्वारा दी गई सूचना पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करनी है। मामले पर अब 5 मार्च को अगली सुनवाई रखी गई है।

हर बार कार्यालयों को निमंत्रण जारी करने की आवश्यकता क्यों? : कोर्ट ने अपने निरीक्षण में कहा कि सरकार के साथ संवाद करने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों की नियुक्ति की आवश्यकता है। इसी प्रकार, कानून अधिकारियों को निर्देश प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों के संपर्क में रहना आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया है कि, हम यह समझने में असफल हैं कि जब मामला सूचीबद्ध होता है, तो प्रत्येक तारीख को सरकारी कार्यालयों को निमंत्रण जारी करने की आवश्यकता क्यों होती है?

64 अधिकारियों पर सिर्फ 10 स्टेनोग्राफर : कोर्ट ने कहा कि 64 कानून अधिकारियों के पीछे सरकारी वकील कार्यालयों में सिर्फ 10 स्टेनोग्राफर ही उपलब्ध हैं। इसका अनुपात निकालें तो सात अधिकारियों को काम पूरा करने के लिए 1 स्टेनोग्राफर हैं। स्टेनोग्राफर की कमी मामलों पर स्थगित करने को लेकर प्रमुख कारणों में से एक है।

Created On :   20 Feb 2024 10:54 AM IST

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