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सेहत से खिलवाड़: नागपुर में फलफूल रहा पाम सुपारी का कारोबार , सेहत के लिए होती है नुकसानदायक
- इंडोनेशिया से कोलकाता, बंग्लादेश और नेपाल के रास्ते नागपुर मंगाई जाती है
- चमक आने के लिए सल्फर की भट्ठियों में पकाते हैं
- पूर्व नागपुर में संचालित हो रहीं दर्जनभर भट्ठियां
डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी को सुपारी के कारोबार का सबसे बड़ा हब माना जाता है। नागपुर में सुपारी के कारोबार में 350 से अधिक कारोबारी शामिल हैं। देश के अंदर की सुपारी का सफेद रंग होता है, यह थोड़ा खुरदरा होने के कारण उतनी आकर्षक नहीं दिखाई देती है, जो कि इंडोनेशिया से मंगाई गई सुपारी को सल्फर की भट्ठियों में डालकर पकाने के बाद दिखाई देती है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक है। इसका यहां धड़ल्ले से कारोबार हो रहा है।
सेहत के लिए घातक : जानकारों का कहना है कि इंडोनेशिया में पाम नामक वृक्ष से जो फल लगता है, वह हूबहू सुपारी की तरह होता है। पाम के पेड़ से गिरने वाले फल का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि उसे फेंक दिया जाता है। इसके लिए इंडोनेशिया में यार्ड बनाए गए हैं, जहां पर पाम के फल को लाकर फेंका जाता है। संतरानगरी के कुछ कारोबारी पाम सुपारी को बेचने का काम धड़ल्ले से कर रहे हैं। इसे इंडोनेशिया से कोलकाता और बंग्लादेश व नेपाल के रास्ते नागपुर भेजा जाता है।
पहचान पाना मुश्किल : पाम फल को नागपुर के सुपारी कारोबारी पाम सुपारी के नाम पर बेचते हैं। इसका उपयोग खर्रा और गुटखा बनाने के लिए होता है। नागपुर के खर्रा में पाम सुपारी डाली जाती है। यह सुपारी सेहत के लिए बेहद घातक है। इससे कैंसर की बीमारी होती है। खर्रा में मिलाई जाने वाली पाम सुपारी की कीमत काफी कम होती है और यह पकाने के बाद पहचान पाना मुश्किल हो जाता है कि यह पाम फल है या फिर असली सुपारी। सुपारी कारोबारी इसे पाम सुपारी के रूप में बेखौफ बेच रहे हैं। लंबे समय से पाम सुपारी को लेकर न तो एफडीए की कोई कार्रवाई हुई है और न ही डीआरआई की टीम ने कभी कोई कार्रवाई की।
खर्रा बनाने वालों को बेची जाती है : सल्फर सेहत के लिए कितनी घातक है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सल्फर की भट्ठियों में पाम सुपारी को पकाने के लिए बोरियों के अंदर भरकर रखा जाता है। इसके बाद उस कमरे को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। बोरियों में भरी गई पाम सुपारी पर सल्फर का छिड़काव करके सभी बोरियां को कमरे के अंदर रखकर आग लगा दी जाती है। इसके बाद उस कमरे को बाहर से बंद कर दिया जाता है। पश्चात बोरियों की पाम सुपारी को कलर देकर उसे लाल रंग की सुपारी में बदल दिया जाता है। इसके बाद इस पाम सुपारी को कटाई करवाकर खर्रा बनाने वालों को बेचा जाता है और नागरिकों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
Created On :   15 Feb 2024 11:36 AM IST