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चिंता: विकास की दौड़ में उपराजधानी खोती जा रही अपनी हरियाली , पर्यावरण प्रेमियों ने गडकरी से की चर्चा
- ग्रीन सिटी, क्लिन सिटी के लिए ‘ग्रीन मेनिफेस्टो' की मांग
- जलकुंभी बढ़ने से तालाब सूखते जा रहे
- पर्यावरण का ध्यान रख विकास की जरूरत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि विकास की दौड़ में पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए। इसी मुद्दे को उजागर करने और शहर को ग्रीन सिटी क्लिन सिटी बनाने के लिए कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने ‘ग्रीन मेनिफेस्टो' जारी किया है, जिसमें तालाब, ग्रीन कवर, खुली जगह का संरक्षण जैसे मुद्दे शामिल हैं। इस मेनिफेस्टों से जुड़े लोगों ने इस पहल में जुड़ने की अपील की है। यह मेनिफेस्टो प्रशासन को पेश किया जाएगा ताकि शहर के विकास पर्यावरण का ध्यान रखकर किया जा सके। पर्यावरण प्रेमियों ने इस मेनिफेस्टों के मुद्दे केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के सामने भी रखे हैं।
तालाबों को बचाने की जरूरत : शहर में अंबाझरी, तेलनखेड़ी और गोरेवाड़ा के अलावा कोई ऐसा तालाब नहीं है, जो तालाब कहलाने योग्य हो। ये प्रदूषित हो चुके हैं। पहले वेटलैंड कहलाने वाला शहर अब बंगलुरु जैसे शहर के लाइन में आने की कगार पर है। इन तालाबों के आस-पास के परिसर का डेवलपमेंट इनके बारे में न सोचते हुए हो रहा है। तालाबों के सूखने से लोगों को परेशानी से झूझना पड़ सकता है। ऐसे में एनएमसी को नियमित रूप से तालाब से जलकुंभी हटानी चाहिए। जलकुंभी बढ़ने से तालाब सूखते जा रहे हैं।
पेड़ों को बचाएं : पूरे देश ने पेड़ों की कमी कोरोना के समय में अधिक महसूस की, क्योंकि ऑक्सीजन के लिए वही एकमात्र सहारा था। तब समझ में आया कि पेड़ों की क्या अहमियत है। परियोजनाओं के लिए हजारों पेड़ों की बलि दी जाती है। पौधारोपण का वादा किया जाता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। हरे-भरे शहर में नागपुर तीसरे स्थान पर था, लेकिन आज यह 28वें स्थान पर पहुंच गया है। प्रशासन से अपील की जा रही है कि किसी भी परियोजना से पहले जांच परख कर ही फैसले लें, ताकि यदि तापमान बढ़ता है, तो नागपुरवासियों को परेशानी न हो। शहर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पौधारोपण आवश्यक है।
पार्क्स एंड गार्डन बचाएं : पीडीकेवी की जमीन पर छत्रपति शिवाजी महाराज पर एक थीम पार्क बनाने की योजना बन रही है। एचसी द्वारा पीडीकेवी कृषि क्षेत्रों को शहर के हरे फेफड़े के रूप में वर्णित किया गया है। एनआईटी से इस परियोजना के लिए कोई अन्य स्थान ढूंढ़ने की अपील की गई है। महामेट्रो नागपुर मेट्रो का विस्तार कन्हान नदी तक कर रही है। एनआईटी कन्हान मेट्रो स्टेशन के पास नदी के किनारे थीम पार्क बना सकता है। अगर शहर के भीतर उद्यान, पार्क, खुली जगहों का रख-रखाव किया जाता है और ग्रीन डेवलपमेंट किया जाता है, तो बच्चों, वयस्कों को लाभ होगा।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग : वर्तमान में नागपुर पेंच बांध से पानी लेता है। वर्षा जल संचयन नियम लागू होने पर नागपुर का भूजल स्तर बढ़ेगा और पानी के उपयोग में नागपुर आत्मनिर्भर होगा। सड़क परियोजनाओं पर परकोलेशन सुविधा अनिवार्य होनी चाहिए। एनएमसी को वर्षा जल संचयन नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश देने की अपील की गई है।
नागरिकों की राय जरूरी : एनएमसी/एनआईटी शहर में कोई भी परियोजना लाने से पहले नागरिकों से नहीं पूछता है। परियोजनाओं को लागू करने से पहले स्थानीय लोगों और स्थानीय विशेषज्ञों को शामिल करें। लोगों से शहर के विकास के बारे में पूछना चाहिए, ताकि उनके अनुरूप विकास कार्य हो सकें और लोग स्वस्थ जीवन जी सकें। - रोहन अरसपुरे (एक्टिविस्ट)
पेड़ों को प्रत्यारोपित नहीं किया जाना चाहिए : नागपुर में महामेट्रो, एनएमसी द्वारा किया गया वृक्ष प्रत्यारोपण विफल रहा है। जहां तक संभव हो सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए पेड़ों की छंटाई की जानी चाहिए न की उसकी कटाई की जाए। यदि प्रत्यारोपित किया गया पेड़ मर जाता है, तो न केवल नागपुर अपना हरित आवरण खो देगा, बल्कि प्रत्यारोपण पर खर्च किया गया पैसा भी बर्बाद होता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। - प्रीति पटेल (एक्टिविस्ट)
Created On :   20 April 2024 4:34 PM IST