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चिंता: मामला चितनीय है, 78 फीसदी लोगों को नींद की समस्या से आ रहा है हार्ट अटैक
- सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के श्वसनरोग व स्लिप मेडिसिन विभाग में अध्ययन
- हृदयाघात आ चुके 37 मरीजों पर गंभीर अध्ययन
- हृदयाघात आने से पहले 67 फीसदी को भयावह सपने आते हैं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिन लोगों को नींद की समस्या है, उन्हें सावधान रहने की सलाह दी गई है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) से संलग्न सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हृदयाघात पर किए गए अध्ययन में जो कारण सामने आए हैं, वह चिंताजनक है। श्वसनरोग व स्लिप मेडिसिन विभाग में हृदयरोग का झटका आने वाले 37 मरीजों पर पिछले महीना भर में अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में पता चला है कि 37 में से 29 यानी 78 फीसदी मरीजों को नींद की समस्या थी। इस अध्ययन के लिए विभाग ने मरीजों की कई पहलुओं की जांच व जानकारी जुटाई है।
67 फीसदी को आते थे भयावह सपने : श्वसनरोग विभाग व स्लिप मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सुशांत मेश्राम के नेतृत्व में हृदयाघात आ चुके 37 मरीजों पर गंभीर अध्ययन किया गया। अध्ययन के दौरान नींद की समस्या पर लक्ष्य केंद्रित किया गया। जब मरीजों पर अध्ययन हुआ तो यह जानकारी सामने आई कि 29 मरीजाें को नींद की समस्या थी। हृदयाघात आने से पहले 25 मरीजों को यानी 67 फीसदी को भयावह सपने आते थे। अधूरी नींद के चलते उनके शरीर की आंतरिक संरचना बिगड़ चुकी थी। उनकी शारीरिक क्रिया में गड़बड़ियां होने से उन्हे भयावह सपने आने की बीमारी हो चुकी थी।
29 को नींद की बीमारी की पुष्टि : डॉ. मेश्राम व उनके सहकर्मी डॉक्टरों की टीम ने अध्ययन किया। इस दौरान यह भी पता चला कि शरीर व दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त नींद होना जरूरी है। जिन लोगों को नींद की समस्या है, उन्हें मधुमेह, हृदयविकार, मोटापा, प्रतिरोधक शक्ति की कमी, कैंसर, स्लिप एपनिया, डिमेंशिया, मानसिक रोग आदि का खतरा होता है। इन बीमारियों को दूर रखने के लिए पर्याप्त व गुणवत्तापूर्ण नींद होना जरूरी है। जिन 37 मरीजों को हृदयाघात आया, उनमें 21 पुरुष व 16 महिलाओं का समावेश था। इनमें से 29 को नींद की बीमारी होने की पुष्टि हो चुकी है। 29 में 8 मरीजों को सुबह 3 से 6 बजे के दौरान ह्रदयाघात आया था। 37 में से 25 मरीजों को भयावह सपने आने की बीमारी थी। अध्ययन में यह भी पता चला कि 16 महिलाओं में से 12 यानी 75 फीसदी और 21 पुरुषाें में से 13 यानी 62 फीसदी को भयानक सपने आते थे।
72 फीसदी में उच्च रक्तदाब, 40 फीसदी मधुमेह ग्रस्त : डॉ. मेश्राम ने बताया कि हृदयाघात के 37 मरीजों में से 72 फीसदी में उच्च रक्तदाब, 40 फीसदी को मधुमेह था। वहीं 18 फीसदी को धूम्रपान, 24 फीसदी को शराब सेवन, 28 फीसदी को तंबाकू का शौक था। इन कारणों से उनमें नींद की समस्या पैदा हाे चुकी थी। ऐसे शौक हृदयाघात के लिए रिस्क फैक्टर हैं।
नींद शरीर को स्वयं ही पोषण देती है : शरीर के नींद काफी जरूरी है। यह शरीर को स्वयं ही पोषण देती है और शरीर व मस्तिष्क को सक्रियता बढ़ाती है। स्मृति और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में नींद की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पर्याप्त नींद होने पर रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। नींद शक्ति शरीर के अनावश्यक घटक, विषाणु व जीवाणु नष्ट करने में मदद करती है। पुरानी पेशियों को पुर्नजीवित कर शरीर को आवश्यकतानुसार ऊर्जा प्रदान करती है।
आपके लिए कितने घंटे नींद जरूरी : 1 साल से कम आयु के बच्चों को 14 से 18 घंटे, स्कूली बच्चों को 12 से 14 घंटे, कॉलेजियन्स को 10 घंटे व 30 प्लस को 8 घंटे नींद लेना जरूरी है। नींद के समय कैफिन युक्त पदार्थ का सेवन न करने, भारी आहार न लेने, मोबाइल, लैपटॉप से दूर रहने, सोने व उठने का समय निश्चित करने, यदि देर रात को सोने पर भी समय पर उठने, नियमित व्यायाम व तनाव का व्यवस्थापन करने की सलाह दी है। 16 मार्च को नींद से संबंधित विविध विषयों पर परिचर्चा व कार्यशाला आयोजित की गई है। सुबह 10 बजे अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये के हाथों कार्यक्रम का उद्घाटन होगा।
Created On :   15 March 2024 12:40 PM IST