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राहत: जीबीएस के मरीजों को बड़ी राहत की घोषणा, 5 हजार का इंजेक्शन मुफ्त मिलेगा
- मेडिकल में हर माह इस दुर्लभ बीमारी के मिल रहे 5 मरीज
- योजना अंतर्गत दिया जाता है आईवीआईजी इंजेक्शन
- आए दिन होने वाली कमी से मिलेगा छुटकारा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। दुर्लभ बीमारियों में शामिल जीबीएस (गुलियन बैरे सिंड्रोम) के मरीजों को इंजेक्शन के लिए अब भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। उन्हें योजना अंतर्गत आईवीआईजी इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में हर महीने औसत 5 जीबीएस मरीज उपचार के लिए आते हैं।
पहले करनी पड़ती थी भाग-दौड़ : सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी सामान्य बात हो चुकी है। बावजूद मेडिकल प्रशासन इसके प्रति गंभीर है। सामान्य बीमारियों से लेकर गंभीर बीमारियों के मामले में जरूरी दवाओं की किल्लत न हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है। दुर्लभ बीमारियों की सूची में शामिल जीबीएस बीमारी के मामले में पहले यह सोचा जाता था कि इसके उपचार में जरूरी आईवीआईजी इंजेक्शन मेडिकल में मिलेंगे या नहीं। पिछले दो साल में इस इंजेक्शन की कई बार किल्लत भी हो चुकी थी। उस समय मरीजों को बाहर से 10 हजार रुपए खर्च कर इंजेक्शन खरीदना पड़ता था, लेकिन अब यह इंजेक्शन आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मेडिकल में जीबीएस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की हर महीने औसत संख्या 5 होती है। यानी साल भर में कुल 60 मरीज इसके उपचार के लिए आते हैं।
योजना में मंजूर की जाती है निधि : जीबीएस से पीड़ित मरीजों को अलग अलग समय पर विशेषज्ञाें की सलाहनुसार आईवीआईजी नामक इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। सूत्रों ने बताया कि इन मरीजों को महात्मा फुले जनस्वास्थ्य योजना में शामिल किया जाता है। यह महंगा इंजेक्शन होता है। इसकी कीमत 4 से 5 हजार रुपए होती है। इसलिए योजना में मंजूरी ली जाती है। इसके बाद उन्हें इंजेक्शन मुफ्त में मिल जाती है। मेडिकल प्रशासन द्वारा इसकी आवश्यकता को देखते हुए पहले से इंजेक्शन खरीदकर स्टॉक रखा जाता है, ताकि पीड़ित को समय पर इंजेक्शन मिल सके। इसलिए अब सीबीएस बीमारी से पीड़ितों को भागदौड़ नहीं करनी पड़ती।
दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिस ऑर्डर : जीबीएस एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमंे जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम ही अचानक शरीर पर अटैक कर देता है। इसलिए इसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को बोलने में, चलने में, निगलने में, मल त्यागने में या रोजमर्रा के कार्यों में परेशानी होती है। समय के साथ स्थिति और भयावह होती है, जिससे व्यक्ति का शरीर लकवाग्रस्त हो सकता है। इसके शुरुआती लक्षणों में शरीर में झुनझुनी महसूस, पैरों में कमजोरी महसूस होना, चलने में दिक्कत आना, दर्द होना और गंभीर मामलों में पैरालिसिस हो जाना आदि शामिल है। अभी तक गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) होने का कारण पता नहीं चल पाया है।
Created On :   28 Feb 2024 12:11 PM IST