उत्साह: अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव, संतरानगरी के चौक-चौराहे सजे, हुए भगवामय

अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव, संतरानगरी के चौक-चौराहे सजे, हुए भगवामय
  • भगवा कुर्ते, ध्वज, दीया-बाती और तेल की मांग बढ़ी
  • लोगों में उत्सव मनाने का उत्साह , जगह-जगह आयोजन
  • भगवामय हो रहा पूरा शहर, तैयारी चरम पर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोमवार 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम होगा। इस उत्सव को लेकर लोगाें में उत्साह चरम पर है। इसके लिए कपड़ा बाजार और धार्मिक अनुष्ठान के लिए लगने वाली सामग्री की मांग बढ़ गई हैै। खरीदी इतनी जोरों पर हो रही है कि दुकानों में बहुत सी वस्तुओं की शार्टेज निर्माण हो गई है। बाजार में भगवा रंग के कुर्ता-पैजामा, दुपट्टे, ध्वज, दीये व बाती की मांग बढ़ गई है। अचानक मांग बढ़ने के कारण दुकानों में स्टॉक कम होने लगा है।

आकर्षक हैं प्रिंट वाले कुर्ते : गारमेंट मैन्युफैक्चरर विनय जैन ने बताया कि बाजार में राम नाम, राम मंदिर के प्रिंट वाले कुर्ते की मांग काफी बढ़ गई है। जिसके चलते बाजार में इनकी शार्टेज हो गई है, हालांकि मैन्युफैक्चरर ने प्रोडक्शन बढ़ा दिया है, ताकि जल्द से जल्द भगवा रंग के कुर्ते उपलब्ध कराए जा सकें। बाजार में 150 से 1200 रुपए की रेंज में कुर्ता-पैजामा उपलब्ध हंै। उसी प्रकार कुर्ता के साथ ही भगवा रंग के दुपट्टे, टोपी और ध्वजों की मांग भी काफी बढ़ी है। हालांकि बाजार में भगवा रंग के ध्वज आसानी से उपलब्ध हैं। थोक में ध्वज की कीमत 25 रुपए से 200 रुपए और खुदरा में 50 से 300 रुपए है। उसी प्रकार टोपी की शुरुआत 20 रुपए प्रति नग से होती है। दुपट्टा 50 से 200 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध है।

खूब हो रही खरीदारी : कुर्ता-पैजामा के साथ ही बाजार में दीया-बाती और तेल की भी काफी डिमांड है। प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी को सभी घरों, प्रतिष्ठानों आदि में दीये जलाने की अपील की है। कई व्यापारी संगठन अपने सदस्यों को दीया-बाती, तेल और अक्षत की किट बांट रहे हैं। बाजार में मिट्टी के दीये की कमी दिख रहे हैं, जबकि दीया-बाती और तेल उपलब्ध है। खुदरा विक्रेता शब्बीर पठान ने बताया कि 22 जनवरी को लेकर लोगों में उल्लास चरम पर है। ध्वज, दीया-बाती और तेल के साथ ही अन्य सामग्री की खरीदारी की जा रही है। आमतौर पर भगवा रंग के कुर्ते पायजामे की रामनवमी और हनुमान जयंती या फिर अन्य धार्मिक अवसरों पर ही बिक्री होती है।


Created On :   20 Jan 2024 11:49 AM GMT

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