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गुमराह: बाजार में ग्राहक हुए गुमराह, ग्रीन पटाखों के नाम पर भरी तिजोरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इस बार दिवाली पर ग्रीन पटाखों के नाम पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे जमकर फूटे हैं। शहर के चार स्टेशनों का प्रदूषण चार्ट इस बात की पुष्टि करता है कि 7 घंटे तक प्रदूषण का स्तर उच्चांक पर पहुंचकर स्थिर था। वहीं नीरी ने स्पष्ट किया था कि ग्रीन पटाखे केवल 30 फीसदी तक ही प्रदूषण कम करते हैं, जबकि मनपा ने ग्रीन पटाखे फोड़ने के लिए जागरुकता अभियान चलाया था, लेकिन मनपा के पास ग्रीन पटाखों की जांच के लिए कोई यंत्रणा नहीं थी। इस कारण ग्रीन के नाम पर लोग गुमराह होते रहे, और प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे खरीदकर फोड़ते रहे।
7 घंटे तक प्रदूषण की घनता कम नहीं हुई : नागपुर महानगर पालिका कार्यक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले चार स्टेशनाें का डेटा प्रदूषण के मामले में उच्चांक दिखाता है। रात के 2 बजे के बाद से लेकर सुबह 9 बजे तक प्रदूषण का स्तर स्थिर रहा, लेकिन यह प्रदूषण उच्चांक पर था। 7 घंटे तक प्रदूषण की घनता कम नहीं हुई। दुकानदारों ने लोगों को ग्रीन पटाखों के नाम पर गुमराह किया। नागपुर महानगर पालिका ने लोगों को ग्रीन पटाखे फोड़ने के लिए जागरुकता दिखाई, लेकिन यह बेअसर जागरुकता थी। मनपा ने इस बात की जांच तक नहीं की कि शहर में ग्रीन पटाखे बिक रहे और यहां इसके नाम पर लोगों को फंसाया ला रहा है। इसकी जांच करने के लिए कोई यंत्रणा नहीं थी। ग्रीन पटाखों को लेकर नीरी ने स्पष्ट किया था कि ग्रीन पटाखे होने पर केवल 30 फीसदी प्रदूषण ही नियंत्रित किया जा सकता है। इन पटाखों से 70 फीसदी प्रदूषण होता है। ग्रीन पटाखों के नाम पर उन लोगों ने भी जमकर पटाखे फोड़े। रात 8 से 10 बजे के बीच जमकर पटाखे फूटे। इससे जमकर प्रदूषण हुआ है।
दावे खोखले : रात के 2 बजे एवं सुबह 9 बजे के एक्यूआई में कोई फर्क नहीं है। ये दर्शाता है कि प्रदूषण का स्तर स्थिर व बहुत भयानक था। इस कारण 7 घंटे में भी प्रदूषण की मात्रा नहीं घटी। ग्रीन पटाखों के नाम पर नॉर्मल पटाखे बिके हैं। प्रशासन ने ग्रीन पटाखों की कोई जांच नहीं की। सारे दावे खोखले निकले। पटाखे बेचनेवालों की चांदी हुई। शहर का प्रदूषण स्तर बढ़ गया। -कौस्तभ चटर्जी, संस्थापक, ग्रीन विजिल फाउंडेशन
Created On :   14 Nov 2023 5:42 AM GMT