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गुर: अब नन्हें शावक बाघिन के बिना ही पिंजरे में सीख रहे शिकार के गुर, एनक्लोजर बनाया
- कुदरती तरीके से डेढ़ साल में बड़े होंगे
- 8 हेक्टेयर में बनाया एनक्लोजर
- पांढरकवड़ा से लाए गए हैं दो शावक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब पेंच व्याघ्र प्रकल्प में शावकों को बिना बाघिन के भी शिकार के गुर सीखने मिलेगे। 8 हेक्टेयर पर ऐसा एनक्लोजर बनाया है, जहां मानवी हस्तक्षेप नहीं है। यहां शावकों को जंगल का माहौल बनाकर शाकाहारी वन्यजीवों को छोड़ा जा रहा है, ताकि शावक खुद इनका शिकार कर सकें। पिछले वर्ष पांढरकवड़ा से लाए यहां दो शावक रखे गए हैं। डेढ़ साल की उम्र में इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। नन्हें शावकों को खुली जगह पर छोड़कर उन्हें शिकार के लिए मौका प्रदान करने की कोशिश की गई है।
कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ा जाएगा : कई बार जंगल में नैसर्गिक कारण या अवैध शिकार के कारण ऐसी बाघिन मर जाती है, जिनके एक दो माह के शावक रहते हैं। बाघिन के मौत के बाद इनका कुदरती तौर पर पलना मुश्किल हो जाता हैं। जंगली श्वानों से लेकर दूसरे बाघ, बाघिन से इन्हें खतरा हो जाता है। रेस्कयू सेंटर में लाने पर यह केवल पिंजरे में रहने लायक बाघ ही बनकर रह जाते हैं। इसके बाद जंगल में छोड़ने पर भी वह खुद होकर शिकार नहीं कर पाते हैं, जिससे भी उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में वन विभाग की ओर से पेंच के तितरलमांगी में एक 8 हेक्टेयर के दायरे में एनक्लोजर का निर्माण किया है, जिसमें इन शावकों को रखने का निर्णय लिया है। यहां शुरूआत में भले ही उन्हें दूध उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन बाद में इन्हें खुद शिकार करना पड़ेगा।
एनक्लोजर में वन्यजीवों को छोड़ा जाएगा। हाल ही में पांढरकावड़ा में एक बाघिन की मौत हो गई थी। उसके दो शावक थे-एक मेल और दूसरा फिमेल। फिलहाल दोनों शिकार के तरीके सीख रहे हैं। लगभग डेढ़ साल की उम्र में वन विभाग इन शावकों को कॉलर आईडी लगाकर फिर जंगल में उसी जगह पर छोड़ देगा और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।
Created On :   20 Feb 2024 5:38 AM GMT