कोर्ट-कचहरी: नागपुर के मानस चौक तक प्रस्तावित टनल मामले में चार सप्ताह में मांगा जवाब

नागपुर के मानस चौक तक प्रस्तावित टनल मामले में चार सप्ताह में मांगा जवाब
  • पर्यावरण के साथ-साथ करदाताओं के पैसों की बर्बादी बताया
  • कोर्ट का पत्र पर गंभीरता से संज्ञान
  • राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से फ्रीडम पार्क मेट्रो स्टेशन होते हुए मानस चौक तक प्रस्तावित भूमिगत मार्ग (टनल) से संबंधित सुमोटो जनहित याचिका में राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया, साथ ही 4 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।

पैसों की बर्बादी है : पूर्व मानद वन्यजीव रक्षक डॉ. जयदीप दास ने हाई कोर्ट को पत्र भेजते हुए इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से फ्रीडम पार्क मेट्रो स्टेशन होते हुए मानस चौक तक प्रस्तावित भूमिगत मार्ग (टनल) की आवश्यकता पर सवाल उठाया है। पत्र में दावा किया गया है कि यह परियोजना शहर और क्षेत्र के पर्यावरण के साथ-साथ करदाताओं के पैसों की बर्बादी है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस पत्र पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मामले में सुमोटो जनहित याचिका दायर करने के आदेश दिए थे, साथ ही कोर्ट ने याचिका में एड. कुलदीप महल्ले को न्यायालय मित्र के तौर पर नियुक्त कर याचिका दायर करने को कहा था। मामले पर शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्या. नितीन सांबरे के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए।

इसलिए उठाया सवाल : डॉ. जयदीप दास के पत्र के अनुसार इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से मानस चौक तक डामर सड़क वर्तमान में निर्माणाधीन है। इस मार्ग पर कोई यातायात भीड़ नहीं है। समस्या केवल फ्रीडम पार्क मेट्रो स्टेशन चौराहे पर है, जहां यातायात को सिग्नल द्वारा नियंत्रित किया जाता है। प्रस्तावित मार्ग पश्चिम-पूर्व दिशा में है, इसलिए उत्तर-दक्षिण मार्ग (आरबीआई चौक से सीताबर्डी) पर यातायात का प्रवाह अधिक देखा जाता है। दोषपूर्ण योजना के कारण पहले बनाए गए कुछ फ्लाईओवर और टनल आज विवाद का विषय बन गए हैं। उदाहरणों में आरबीआई चौक से सदर फ्लाईओवर के कारण यातायात की भीड़, रेलवे स्टेशन के पास फ्लाईओवर को गिराना पड़ा, मनीष नगर सुरंग, नरेंद्र नगर सुरंग शामिल हैं। ऐसी कोई वैज्ञानिक जानकारी भी उपलब्ध नहीं है कि प्रस्तावित सुरंग से यातायात प्रवाह में सुधार होगा। पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस परियोजना के लिए मार्ग पर लगभग 200 साल पुराने 115 पेड़ों को कटाई की जाने वाली है। पत्र में सवाल उठाया गया है कि पर्यावरण की दृष्टि से लाभकारी विकल्प क्यों उपलब्ध नहीं कराया गया है।

Created On :   6 April 2024 12:54 PM IST

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