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बदहाल रास्ते: एनएचएआई का दावा 90 फीसदी पेड़ जिंदा, कोर्ट ने कहा - विश्वास नहीं होता
- विदर्भ के बदहाल महामार्गों का मुद्दा
- विवरण उपलब्ध कराने पर राजी
- 3 जुलाई को अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में विदर्भ के बदहाल महामार्गों पर जनहित याचिका प्रलंबित है। इस मामले में एनएचएआई ने अब तक लगाए पौधों में से 90 फीसदी के जिंदा होने का दावा किया है, लेकिन कुछ ठेकेदारों और परियोजना निदेशक के हलफनामे के अवलोकन पर, कोर्ट ने पाया कि लगाए गए पौधों की उत्तरजीविता दर लगभग 90 फीसदी दिखाई गई है। हालांकि, कुछ ठेकेदारों द्वारा रिकॉर्ड पर प्रस्तुत की गई तस्वीरों से पता चलता है कि शायद ही कोई पौधारोपण हुआ हो। इसलिए कोर्ट ने एनएचएआई द्वारा पौधारोपण की उत्तरजीविता दर के बारे में प्रस्तुत किए गए दावे पर अविश्वास जताया है।
याचिका में सर्विस रोड भी शामिल
नागपुर खंडपीठ में एड. अरुण पाटील ने जनहित याचिका दायर की है। सर्विस रोड हाई-वे के समानांतर चलती है, मुख्य रूप से स्थानीय यातायात के लिए पहुंच प्रदान करती है और इस प्रकार हाई-वे पर यातायात को तेजी से आगे बढ़ाने में कम से कम हस्तक्षेप की सुविधा प्रदान करती है। लेकिन इस सर्विस रोड पर संकरी सड़क, अतिक्रमण और पार्किंग जैसी कई बाधाओं का सामना वाहन चालकों को करना पड़ रहा है। इसलिए कोर्ट ने इस याचिका का दायरा बढ़ाते हुए इसमें सर्विस रोड को भी शामिल करने का आदेश दिया है।
इनमें नागपुर से अमरावती, नागपुर से भंडारा और नागपुर से उमरेड राजमार्ग के सर्विस रोड शामिल हैं। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में एनएचएआई को सड़क के किनारे अब तक कितने पौधे लगाए गए हैं और उनमें से कितने जिंदा हैं? इस पर जवाब दायर करने के आदेश दिए थे। साथ ही इस मामले कोर्ट ने ओसीडब्ल्यू, एमएसईडीसीएल और ठेकेदार को प्रतिवादी करते हुए उन्हे भी नोटिस जारी किया था।
विवरण उपलब्ध कराने पर राजी
मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। तब एनएचएआई ने कोर्ट को बताया कि, नागपुर से फेटरी मार्ग के चौड़ीकरण के लिए किए गए कार्य का विवरण याचिकाकर्ता को बताया जाएगा, साथ ही भारतीय सड़क कांग्रेस के दिशा-निर्देशों के अनुसार पौधारोपण और पेड़ों की उत्तरजीविता के मामले में ठेकेदारों द्वारा किए जाने वाले कार्य के बारे में संपूर्ण विवरण उपलब्ध कराया जाएगा।
3 जुलाई को अगली सुनवाई
पौधारोपण की निगरानी करने के लिए एनएचएआई के पास उपलब्ध मैकेनिज्म का अनुपालन करने का भी आश्वासन दिया। कोर्ट ने पेड़ों की उत्तरजीविता दर की टैपिंग के मामले में अपनाई गई प्रक्रिया और एनएचएआई द्वारा रिपोर्ट की गई अन्य जानकारी रिकॉर्ड पर ले ली और इस मामले में 3 जुलाई को अगली सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्झा और एनएचएआई की ओर से एड. अनिश कठाणे ने पैरवी की।
Created On :   1 July 2024 8:10 PM IST