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Nagpur News: न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर भी नहीं मिल रहा दाम, सीसीआई के नियमों के पेंच में फंसे कपास उत्पादक
![न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर भी नहीं मिल रहा दाम, सीसीआई के नियमों के पेंच में फंसे कपास उत्पादक न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर भी नहीं मिल रहा दाम, सीसीआई के नियमों के पेंच में फंसे कपास उत्पादक](https://www.bhaskarhindi.com/h-upload/2025/02/10/1402225-1.webp)
- प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपए कम दाम में बेचना पड़ रहा
- सीसीआई के नियमों के पेंच में फंसे कपास उत्पादक
Nagpur News. मौसम की मार और बाजार में उचित दाम नहीं मिलने से किसानों पर संकट के बादल छंटने के नाम नहीं ले रहे हैं। मौसम का साथ मिल भी जाए, तो किसानों को लूटने वाले तैयार बैठे हैं। इस समय वहीं हो रहा है। कपास की फसल ठीक-ठाक आयी है, लेकिन उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर दाम नहीं मिल रहा है। सीसीआई का नियम इसके आड़े आ रहा है। कपास बेचने के लिए किसानों के सामने कोई रास्ता नहीं बचा, तो निजी खरीदारों को देना पड़ रहा है। मौके का फायदा उठाकर खरीदार प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपए कम दाम में कपास खरीद रहे हैं। सीसीआई के नियमों के पेंच में फंसे कपास उत्पादक किसानों का नुकसान हो रहा है।
विधायकों से उम्मीद
सीसीआई के कपास खरीदी केंद्र बंद रहने से नुकसान सह रहे किसानों को स्थानीय विधायकों से उम्मीद है। किसान चाहते हैं कि, अपने विधायक सरकारी दरबार में आवाज उठाकर सीसीआई के कपास खरीदी केंद्र खोल दें, ताकि कपास को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके। किसानों को आश्वासन मिल रहा है, लेकिन प्रत्यक्ष में अमल नहीं होने से किसानों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
चिंता में डूबे
अच्छी फसल के लिए किसानों ने कर्ज लेकर खेती पर पानी की तरह पैसा बहा दिया। फसल अच्छी हुई, लेकिन उचित दाम नहीं मिल रहा है। जाे कर्ज लिया, उसे चुकाने के लिए किसान के पास पैसा नहीं है। सालभर मेहनत करने पर हाथ में कुछ नहीं बच रहा है। आय का दूसरा कोई साधन नहीं है। अब परिवार का पेट कैसे पाले, इस चिंता में किसान डूब गया है।
जिनिंग फैक्टरियां भी खरीदने से कतरा रहीं
सरकार ने नागपुर जिले में सीसीआई को कपास खरीदी केंद्र खोलने की मंजूरी दी है। इन केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास खरीदी की जाती है। असल बात यह है कि, केंद्र खुलेंगे तो किसानों को उचित दाम मिलेगा। जिले में अनेक कपास खरीदी केंद्र बंद पड़े हैं। किसानों को मजबूरी में निजी खरीदारों को कपास बेेचना पड़ रहा है। सीसीआई ने प्रति क्विंटल कपास से 34 फीसदी रुई निकलने का मानक तय किया है। उससे कम रुई निकलने पर संबंधित जीनिंग फैक्टरी से रुई के अंतर की कटौती की जा रही है। जमीन की उर्वरा क्षमता और मौसम पर कपास से रुई निकलने का प्रमाण निर्भर है। नागपुर जिले में सीसीआई के मानक पर कपास से रुई का उतारा नहीं आ रहा है, जिसकी वजह से जीनिंग फैक्टरियां कपास से रुई निकालने में कतरा रही हैं। मौके का फायदा उठाकर निजी खरीदार कम दाम में कपास खरीदी कर किसानों से इसकी भरपाई कर रहे हैं।
भौगोलिक स्थिति अनुसार मानक तय करें
मुक्ता कोकड्डे, पूर्व अध्यक्ष, जिला परिषद के मुताबिक महाराष्ट्र के अन्य जिले व नागपुर विभाग के नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, यवतमाल जिले में जमीन की उर्वरा क्षमता और वातावरण में काफी अंतर है। यहां की मिट्टी में सरकी जाड़ी होती है, जिसकी वजह से रुई का उतारा कम आता है। सीसीअाई ने प्रति क्विंटल 34 फीसदी रुई का मानक तय किया है। जिसकी वजह से जीनिंग फैक्टरियां कपास लेने से कतरा रही हैं। इसमें किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। भौगोलिक स्थिति अनुसार सीसीआई को मानक तय करने चाहिए। तेलंगाना में 34 फीसदी रुई के उतारा का मानक है। उसी तर्ज पर विदर्भ के चार जिलों के लिए रुई का मानक तय करें।
Created On :   10 Feb 2025 8:18 PM IST