Nagpur News: नागपुर के बिल्डर, व्यापारी और आला अधिकारी साइबर ठगों के निशाने पर

नागपुर के बिल्डर, व्यापारी और आला अधिकारी साइबर ठगों के निशाने पर
  • आपराधिक मामले दर्ज होने का झांसा
  • मोटी रकम ऐंठने का प्रयास
  • सतर्क रहने और साइबर की हेल्पलाइन पर संपर्क करने का आह्वान

Nagpur News शहर में इन दिनों बिल्डरों, व्यापारियों के साथ ही प्रशासन के बड़े अधिकारी साइबर ठगों के निशाने पर आ गए हैं। बड़े अधिकारियों को ठगों की ओर से मुंबई समेत अन्य शहरों में दुष्कर्म, देश विरोधी मैसेज भेजने सहित अन्य आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी जाती है। इन मामलों में मोबाइल इस्तेमाल होने का डर दिखाकर मोटी रकम ऐंठने का प्रयास हो रहा है। दूसरी ओर बिल्डर और व्यापारी के नाम के अन्य शहरों के बैंक खातों में लाखों के अवैध ट्रांजेक्शन होने की जानकारी दी जाती है। बाद में धमकाकर मामले को दबाने बड़ी रकम की मांग करते हैं। साइबर ठगों के झांसे में आकर व्यापारी और बिल्डर हड़बड़ी में फर्जी लिंक और ऑनलाइन बैकिंग से रकम ट्रांसफर भी कर दे रहे हैं। इस मामले में साइबर विशेषज्ञ और साइबर पुलिस ने नागरिकों को सतर्क रहने और साइबर की हेल्पलाइन पर संपर्क करने का आह्वान किया है।

आठ माह में 106 मामलों में 35.78 करोड़ की ठगी : सूचना और तकनीक के प्रभाव में दैनिक जीवन आसान हो गया है, लेकिन इसी सूचना और तकनीक का इस्तेमाल कर ठग अब नागरिकों को लूट रहे हैं। उपराजधानी में पिछले 8 माह में साइबर अपराधों के 106 से अधिक मामलों में ठगों ने करीब 35 करोड़ 78 लाख 55 हजार 950 रुपए का चूना लगाया है। यूपीआई के माध्यम से ठगी की रकम ट्रांसफर करने के चलते पुलिस केवल 3 करोड़ 51 लाख 67 हजार रुपए की राशि ही सील कर वसूल कर पाई है। पुलिस को अभी तक 106 मामलों में से करीब 21 मामलों में अपराधियों को पकड़ने में सफलता मिली है। पुलिस को साइबर ठगी के बाद शिकायत दर्ज कराने में देरी के चलते नागरिकों को राशि दोबारा पाने में मुश्किल आ रही है।

नागरिकों को पता ही नहीं, फर्जी खाते खुले : शहर के झोपड़पट्टी के नागरिकों का साइबर ठगी में इस्तेमाल किया जा रहा है। अन्य राज्यों और शहरों में ठगी की रकम जमा करने के लिए झोपड़पट्टी के नागरिकों के बैंक खातों को इस्तेमाल किया जा रहा है। कम शिक्षित और बेरोजगारों के आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज लेकर फर्जी बैंक खाते खोले जाते हैं। खाता खोलने के लिए 10 हजार रुपए देकर ऑनलाइन बैक में ठग अपना मोबाइल रजिस्टर्ड कराते हैं। इसके बाद ठगी की रकम खातों में जमा होते ही मोबाइल से रकम अन्य खातों और यूपीआई में डालकर निकाल लेते हैं। मुंबई के अलावा मध्य प्रदेश और गुजरात में कई ठगी की राशि शहर के नागरिकों के खाते में जमा हुई है।

बिल्डर को 7 लाख का चूना, अधिकारी के खाते से 5 लाख उड़ाए : साइबर ठगों ने हाल ही में हिंगना के बिल्डर के बैंक खाते में आतंकी वारदात से जुड़ी 28 लाख की रकम जमा होने की जानकारी दी। मामले को सुलझाने के लिए स्काइप से ऑनलाइन मीटिंग कर 7 लाख रुपए बैंक से ट्रांसफर भी करा लिए। एक अन्य मामले में साइबर ठगों ने शिवाजी नगर के सेवानिवृत्त अधिकारी को अपना शिकार बनाया। इस अधिकारी से मुंबई के बैंक के बचत खाते में 30 लाख की ठगी की राशि जमा होने को लेकर पूछताछ की गई, इसके बाद बैंक खातों की जानकारी लेकर 5 लाख रुपए खाते से उड़ा लिए।

घबराने की बजाय विचार करें : ईडी, सीबीआई सहित अन्य सरकारी जांच एजेंसियां किसी भी अपराध को लेकर फोन अथवा सोशल मीडिया से जानकारी नहीं देती है। तकनीकी ज्ञान और सावधानी से ही साइबर ठगी से नागरिक अपनी सुरक्षा संभव कर सकते हैं। किसी भी तरह के धमकी अथवा आपराधिक मामले के फोन कॉल आने पर घबराने की बजाय शांति से विचार करें। साथ ही अनजान लोगों अथवा वीडियो, आडियो कॉल का जवाब न दे। अपने ऑनलाइन खाता सहित अन्य जानकारी किसी से भी साझा न करें। ठगी का अंदेशा होने पर टोल फ्री हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क कर तत्काल शिकायत दर्ज कराएं, ताकि रकम को समय रहते प्राप्त किया जा सके। -अमित भुरे, साइबर विशेषज्ञ, अंबाझरी पुलिस स्टेशन

Created On :   15 Oct 2024 9:20 AM GMT

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