Nagpur News: मरीजों के लिए वरदान होगा सरकारी कैंसर इंस्टीट्यूट, 80 करोड़ रुपए की है योजना

मरीजों के लिए वरदान होगा सरकारी कैंसर इंस्टीट्यूट, 80 करोड़ रुपए की है योजना
  • कैंसर मरीजों को अब उपचार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा
  • 9 साल पहले प्रस्तावित इस इंस्टीट्यूट के सारे पेंच सुलझे
  • बहुप्रतिक्षित लीनियर एक्सीलरेटर मशीन स्थापित करने की तैयारी

Nagpur News मध्य भारत में कैंसर मरीजों को अब उपचार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। उनके लिए वरदान साबित होने वाले सबसे बड़े सरकारी कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण नागपुर में शुुरू हो चुका है। 9 साल पहले प्रस्तावित इस इंस्टीट्यूट के सारे पेंच सुलझ गए हैं। सरकार ने इस 80 करोड़ रुपए की योजना का प्रारंभिक काम शुरु करने के लिए 20 करोड़ रुपए दिए हैं। इसका काम काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां कैंसर पीड़ितों के उपचार के अलावा

यह होंगी सुविधाएं : मेडिकल के टीबी बार्ड परिसर की एक 5 एकड़ जमीन पर कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण हो रहा है। यहां तीन माले की इमारत तैयार हो रही है। इमारत का तल माले का 70 फीसदी काम शुरू हो चुका है। बहुप्रतिक्षित लीनियर एक्सीलरेटर मशीन स्थापित करने की तैयारी हो चुकी है। सरकार की तरफ से जैसे ही मशीन मिलेगी, उसे यहां स्थापित कर मरीजों का उपचार शुरू किया जा सकेगा। इमारत में 4 वार्ड, 2 ऑपरेशन थिएटर और 3 आईसीयू होंगे, साथ ही लीनियर एक्सीलरेटर मशीन और एक ब्रेकीथेरेपी मशीन होगी। यहां कैंसर का हर प्रकार का उपचार, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग भी होगा। विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए कैंसर रोग से संबंधित समग्र पाठ्यक्रम की सुविधा होगी।

प्रस्ताव था ठंडे बस्ते में : शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने के लिए पहली बार 2015 में मंजूरी मिली थी। बाद में किसी कारणवश यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। कुछ समय बाद विधान परिषद सदस्य गिरीश व्यास ने इस मुद्दे को उठाया। उनके प्रयासों के चलते चिकित्सा शिक्षा विभाग इसे फिर से मंजूरी दी। इसके लिए 76.10 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। मेडिकल के तत्कालीन अधिष्ठाता, नागपुर सुधार प्रन्यास व संबंधित विभागों को तालमेल बनाकर इंस्टीट्यूट निर्माण के लिए कदम उठाने को कहा गया। इस काम की शुरुआत होने से पहले ही कोरोना महामारी फैल गई। सितंबर 2021 में चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव ने कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए संबंधित सभी विभागों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के निर्देश दिए थे।

जमीन का मामला दस्तावेजों में उलझा : 2021 में मेडिकल के टीबी वार्ड परिसर में इंस्टीट्यूट निर्माण के लिए जमीन निश्चित की गई। जमीन सरकार के नाम पर थी, इसलिए जमीन को अधिष्ठाता के नाम पर होना जरूरी था। तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. सुधीर गुप्ता ने जमीन के लिए जिला प्रशासन से एनओसी प्राप्त की। विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर इंस्टीट्यूट की इमारत, सुविधाएं, नक्शे आदि की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर नागपुर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) को सौंप दी। निर्माण की जिम्मेदारी भी एनएमआरडीए को दी गई। इस बीच नक्शा को लेकर पेंच फंस गया, लेकिन जिला प्रशासन ने सरकारी योजना होने के कारण दस्तावेजों की प्रक्रिया में उलझे बिना योजना साकार करने को प्राथमिकता देने को कहा, तब जाकर नक्शा मंजूर किया गया।

पिछले साल शुरू होना था निर्माण कार्य : पिछले साल फरवरी में इसका निर्माण शुरू किया जाना था। काम शुरू करने के लिए एनएमआरडीए ने 20 करोड़ रुपए की मांग की। सरकार की तरफ से पहले टेंडर प्रक्रिया करने को कहा गया। एनएमआरडीए द्वारा टेंडर प्रक्रिया करने के बावजूद निधि नहीं मिली और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस योजना को साकार करने मेडिकल प्रशासन ने फिर से सरकार से निधि की मांग की। सरकार की तरफ से एनएमआरडीए द्वारा काम करने के लिए अनुमति पत्र मांगा गया। पत्र मिलने के बाद इसका काम आगे बढ़ा


Created On :   7 Dec 2024 10:58 AM IST

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