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Nagpur News: जीएसटी को सरल बनाने की आवश्यकता , दैनिक भास्कर की बजट पूर्व परिचर्चा
- टैक्स प्रैक्टिशनर्स ने रखी ये बड़ी मांग
- कर व्यवस्था को आसान बनाने के लिए सुझाव दिए
Nagpur News केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देशभर में लागू तो कर दिया है, लेकिन इसकी जटिलता के कारण करदाताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आनेवाले बजट में वित्त मंत्री से जीएसटी को सरल बनाने के लिए प्रावधान लाने की आवश्यकता शहर के जाने माने टैक्स प्रैक्टिशनर्स ने की है। दैनिक भास्कर कार्यालय में बजट पूर्व चर्चा का आयोजन किया गया था, जिसमें कर व्यवस्था को आसान बनाने के लिए सुझाव दिए गए। यदि सरकार इन सुझावों पर अमल करती है तो करदाताओं के लिए जीएसटी की विविध धाराओं का अनुपालन करना काफी आसान हो जाएगा।
जीएसटी में दूसरे राज्यों का सेट-ऑफ नहीं ले सकते : जीएसटी में दूसरे राज्य में किए गए व्यय का सेट-ऑफ नहीं लिया जा सकता है। भारत में केंद्र और राज्यों का जीएसटी अलग-अलग है। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे राज्य में जाकर व्यय करता है तो उसे सेट-ऑफ लेने के लिए भी उसी राज्य में रजिस्ट्रेशन करने के बाद अपील करनी होगी। उसी प्रकार उद्योगों को कंस्ट्रक्शन रिलेटेड क्रेडिट भी नहीं मिलता है। जीएसटी में क्रेडिट पूरी तरह से निर्बाध नहीं हुई है।
करप्शन बढ़ गया है : लाइसेंसराज और करप्शन को रोकने के लिए जीएसटी को लाया गया था, लेकिन जीएसटी आने के बाद भी करप्शन बंद नहीं हुआ है। विदेशों से कोई माल इंपोर्ट करने पर उसे कस्टम विभाग से छुड़वाने में पसीने छूट जाते हैं।
आसानी से नहीं मिलता जीएसटी रजिस्ट्रेशन : अब जीएसटी का रजिस्ट्रेशन नंबर लेने में भी 3 से4 महीने का समय लग जाता है। आरंभ में सात दिन में नंबर जारी हो जाता था। एक बार जीएसटी रिटर्न फाइल करने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है। सरकार ने जीएसटी रिटर्न को रिवाइज करने का ऑप्शन देना चाहिए, ताकि गलतियों को दुरुस्त किया जा सके।
टीसीएस के रेट कम होने चाहिए : टीसीएस के रेट बहुत ज्यादा है। सात लाख रुपए पर 5 प्रतिशत और यदि इससे अधिक खर्च है ताे 30 प्रतिशत टीसीएस लगाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति 7 लाख रुपए के पैकेज पर विदेश जाता है तो उसे 5 प्रतिशत टीसीएस लगेगा और यदि वह 10 लाख रुपए के पैकेज पर जाता है तो 30 प्रतिशत लगाया जाता है। यह दर बहुत अधिक है, इसीलिए इसमें बदलाव करने की आवश्यकता है।
लाेगों को बचत के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत : पिछले कुछ दिनों में लाेगों की बचत करने की प्रवृत्ति काफी कम हो गई है। इसीलिए उन्हें बचत के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सेविंग बढ़ाने के लिए सरकार को कदम उठाने की जरूरत है।
जीएसटी की जटिलताएं कम हो : दिन-ब-दिन जीएसटी की जटिलताएं बढ़ती ही जा रही हैं। इन जटिलताओं को कम करने की आवश्यकता है। यूएसए की तरह नो टैक्सेशन, विदाउट रिप्रेजेंटेशन की तर्ज पर यहां भी काम होना चाहिए। कोई भी कर प्रणाली लाने से पहले उसपर विशेषज्ञों के साथ ही आम जनता की राय लेनी चाहिए। इससे उसकी त्रृटियां दूर करने में मदद मिलती है और ऐसी प्रणाली लंबे समय तक काम करती है। गलती करने पर अधिकारियों पर भी जुर्माना लगाने का प्रावधान होना चाहिए। अधिकारी गलती पर गलती करते जाते हैं और उन्हें कोई कुछ नहीं बोलता और करदाताओं पर जुर्माना लगाया जाता है।
लिटिगेशन कम करने पर काम हो : सरकार ने लिटिगेशन को कम करने पर काम करना चाहिए। जीएसटी के कई प्रावधान ऐसे है, जिससे लिटिगेशन बढ़ रहे हैं। एम्प्लायर यदि कर्मचारी की पीएफ/ईएसआईसी की पेमेंट 1 दिन भी देरी से जमा करता है तो उसपर जुर्माना लगाया जाता है। इस प्रकार के मामलोंं में थोड़ी ढिलाई बरतने की आवश्यकता है।
मानवी हस्तक्षेप को बढ़ाना चाहिए : करदाताओं को विभाग द्वारा ई-मेल भेजकर सूचित किया जाता है। कई बार करदाता ई-मेल या मैसेज नहीं देख पाता है। ऐसे में विभाग की ओर से करदाता को काॅल किया जाना चाहिए। इस मामले में मानवी हस्तक्षेप को बढ़ाना चाहिए। स्कील्स के माध्यम से उत्पन्न हुए रोजगार का भी डाटा सरकार के पास होना चाहिए।
करदाताओं का सम्मान हो : नियमित रूप से कर देनेवाले करदाता यदि किसी कारणवश कर नहीं दे पाए तो उनपर जुर्माना नहीं लगाना चाहिए, बल्कि उनका पुराना ट्रैक रिकार्ड देखकर उन्हें छूट देनी चाहिए। नियमित करदाताओं को सम्मान की नजर से देखना चाहिए। उन्हें गलतियों को सुधारने का मौका मिलना चाहिए।
स्टैम्प ड्यूटी का कराधान भी जीएसटी जैसा होना चाहिए : प्रापर्टी खरीदी-बिक्री पर लगनेवाली स्टैंप ड्यूटी में भी खरीदी करने पर लगनेवाली स्टैम्प ड्यूटी का क्रेडिट मिलना चाहिए। अर्थात प्रापर्टी खरीदी-बिक्री पर लगनेवाली स्टैम्प ड्यूटी का कराधान भी जीएसटी जैसा होना चाहिए। कृषि से प्राप्त होनेवाली बड़ी आय को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए।
कम से कम हो टैक्स की दर : कर की दर वाजिब होनी चाहिए, ताकि करदाता कर चोरी के बारें में सोचे भी नहीं। जीएसटी की दरें 5, 12 और 28 प्रतिशत होनी चाहिए इससे ज्यादा नहीं। कारोबार करने में आसानी (ईज अॉफ डूइंग बिजनेस) होना चाहिए। लोगों पर अनुपालन का बोझ कम होना चाहिए। मुकदमेबाजी (लिटिगेशन) कम करने के लिए सरकार को काम करना चाहिए। सरकार डायरेक्ट टैक्स कोड और इनडायरेक्ट टैक्स कोड को लाएं, क्योंकि सरकार का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लाने का उद्देश्य अब भी पूरा नहीं हुआ है।
नेचुरल गैस और पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लागू हो : जल्द से जल्द नेचुरल गैस और पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लागू कर देना चाहिए। इन पर जीएसटी लागू करने से इनके दाम कम होंगे। इंपोर्ट ड्यूटी को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। उत्पादन लागत कम करने के लिए ब्याजदर, पावर, ईज अॉफ डूइंग बिजनेस, लेबर लॉ को उदार करना चाहिए।
Created On :   8 Jan 2025 2:08 PM IST