Nagpur News: जेल में काम से इनकार करने वाले कैदी का फरलो नामंजूर, हाईकोर्ट पहुंचने पर राहत

जेल में काम से इनकार करने वाले कैदी का फरलो नामंजूर, हाईकोर्ट पहुंचने पर राहत
  • हाई कोर्ट ने जेल प्रशासन का निर्णय किया रद्द
  • भविष्य में हर काम करने का दिया आश्वासन
  • जेल में नहीं था उसके लायक काम

Nagpur News बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जेल में काम न करने पर कैदी को फरलो देने से इनकार करने के जेल प्रशासन के निर्णय को रद्द किया। साथ ही कोर्ट ने इस आश्वासन पर फरलो मंजूर करने का आदेश दिया कि कैदी भविष्य में जेल में सौंपे गए काम करेगा। न्या. विनय जोशी और न्या. वृषाली जोशी ने यह फैसला दिया।

याचिकाकर्ता का पक्ष : कैदी दशरथ डेबुर ने यह याचिका दायर की थी। दशरथ पिछले चार साल से सेंट्रल जेल में है। उसे हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है। दशरथ ने जेल प्रशासन को फरलो अवकाश के लिए आवेदन किया था, लेकिन जून 2024 में जेल प्रशासन ने इस अर्जी को खारिज कर दिया। इसलिए दशरथ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जेल प्रशासन ने आवेदन खारिज करने का कारण बताया कि कैदी जेल में सुतारकाम नहीं करता था। वहीं, कैदी की दलील थी कि जेल में उसके लिए कोई काम नहीं है। जेल प्रशासन ने कैदी के आवेदन को खारिज करने के लिए बॉम्बे फरलो और पैरोल अधिनियम, 2018 की धारा 4 [6] का हवाला दिया। जेल प्रशासन के अनुसार, यदि किसी कैदी का व्यवहार इस प्रवृत्ति के अनुरूप नहीं है तो जेल प्रशासन के पास उसे फरलो और पैरोल देने से इनकार करने का अधिकार सुरक्षित है।

दलीलों पर कोर्ट ने कहा : दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि, यह पूरी तरह से तथ्यात्मक पहलू है कि काम उपलब्ध नहीं था या कैदी ने काम करने से इनकार कर दिया। कैदी पिछले चार वर्षों से जेल में है और भविष्य में सौंपे गए काम को करने का आश्वासन देता है। उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में लेते हुए कोर्ट ने जेल प्रशासन के निर्णय को रद्द करते हुए कैदी को फरलो मंजूर करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के अनुसार जेल प्रशासन को चार सप्ताह के भीतर फरलो अर्जी को मंजूरी देनी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. रत्ना सिंह और जेल प्रशासन की ओर से एड. एन. त्रिपाठी ने पैरवी की।

Created On :   15 Oct 2024 8:14 AM GMT

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