Nagpur News: अपनों की जान लेने वाले अधिकतर इंपल्सिविटी का शिकार होते हैं

अपनों की जान लेने वाले अधिकतर इंपल्सिविटी का शिकार होते हैं
  • मानसिक विकार होने के बावजूद मानते हैं खुद को सामान्य
  • मनोचिकित्सक कहते हैं : समय पर उपचार करने पर कर सकते नियंत्रित
  • इंपल्सिविटी है एक मानसिक समस्या

Nagpur News चंद्रकांत चावरे. अपने सगे परिजनों की हत्या कर देना, पूर्वनियोजित नहीं होता। तीनों मामले में अपनों ने ही अपनों की जान ली है। अपनों को खत्म करने के लिए अधिकतर कोई योजना नहीं बनाई जाती, बल्कि उन्हें सहजता से मार दिया जाता है। मनोचिकित्सक इसे मेडिकल की भाषा में इंपल्सिविटी (आवेगशीलता) बताते हैं। बिना विचार किए अचानक योजना बनाकर उस पर तत्काल अमल करने का अर्थ है इंपल्सिविटी।

सालाना 20-25 लोगों का उपचार : मनोचिकित्सक बताते हैं कि कुछ समय के लिए परिणाम की परवाह किए बिना अपनी इच्छा पर लक्ष्य निर्धारित कर उसे अंजाम तक पहुंचाना ही आवेगशीलता है। किसी सदस्य के ऐसे स्वभाव के बारे में परिजनों को पहले से पता होता है। लेकिन परिजन इसे सामान्य मानकर उपचार नहीं करवाते। समय के साथ यह स्वभाव बन जाता है और एक न एक दिन यह स्वभाव परिवार के लिए काल बन जाता है। मेडिकल के मनोचिकित्सा विभाग में ऐसे स्वभाव वाले लोगों का उपचार किया जाता है। सालाना 20-25 लोग उपचार के लिए लाये जाते हैं। समुपदेशन, दवाइयां व ध्यान के माध्यम से इंपल्सिविटी को नियंत्रित किया जा सकता है।

भावनाओं का विकास तेजी से : चिकित्सा क्षेत्र में इंपल्सिविटी को मानसिक समस्या माना जाता है। मस्तिष्क का जो हिस्सा तर्क करने व निर्णय लेने की क्षमता को नियंत्रित करता है, उसे प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स कहा जाता है। मस्तिष्क के सभी हिस्से उम्र के साथ विकसित व परिपक्व होते हैं। इसमें तर्क को नियंत्रित करने वाला हिस्सा प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स से अधिक भावनाओं को नियंत्रित करनेवाला हिस्सा एमिग्डाला तेजी से परिपक्व होता है। इसलिए किशोर से लेकर युवा वर्ग में भावनाओं का विकास अधिक तेजी से होता है। लेकिन तर्क को नियंत्रित करने वाले हिस्से का विकास धीमा होने से किसी भी कार्य को अंजाम देने से पहले होने वाली प्रतिक्रिया के बारे में सोचने या निर्णय लेने के गुण जल्दी विकसित नहीं होते। इसलिए भावनाओं के चलते वे इंपल्सिविटी यानि आवेगशीलता में बहते चले जाते हैं।

कुछ कारणाें से बढ़ती है बीमारी : जब इंपल्सिविटी बढ़ती है तो स्वभाव भी वैसे ही होता चला जाता है। अक्सर ऐसे स्वभाव वाले लोग नकारात्मक व्यवहार पर अधिक लक्ष्य केंद्रित करते हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार ऐसे लोग घातक साबित हो सकते हैं। इनके कारण परिवार व समाज को खतरा हो सकता है। इंपल्सिविटी के कुछ कारण हो सकते हैं। मनोचिकित्सकोें के अनुसार यदि परिवार में कोई सदस्य मानसिक विकार से ग्रस्त हो, मस्तिष्क में हार्मोनल पैटर्न सामान्य की बजाय असंतुलित हो चुका हो, पारिवारिक व सामाजिक माहौल सकारात्मक न हो, आर्थिक या अन्य प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हो तो इंपल्सिविटी से पीड़ित होने की संभावना बनी रहती है।


Created On :   3 Jan 2025 12:35 PM IST

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