चर्चा: ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती समस्याओं का समाधान निकालना जरूरी

ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती समस्याओं का समाधान निकालना जरूरी
नीरी में आयोजित इंडो-यूएस कार्यशाला में वैज्ञानिकों का मत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। इन्हें हल करने के लिए आवश्यक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है। जो राष्ट्र इस समस्या को हल करने में सहयोग करना चाहते हैं, उनके साथ कार्यक्रम चलाना जरूरी है। उनके साथ अनुसंधान और ज्ञान का आदान-प्रदान कर समस्या हल करने के लिए योजनाएं बनाना चाहिए। ऐसा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक व स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल ने कहा। सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनईईआरआई), एनआईएच-राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (एनआईएच एनआईईएचएस) यूएसए और आईसीएआर-राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान (आईसीएआर-एनआईओएच) अहमदाबाद के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

पर्यावरण व सार्वजनिक स्वास्थ्य विषय पर आधारित इंडो-यूएस कार्यशाला है। नीरी के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. राजीव बहल ने वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए मिलकर काम करने की सलाह दी। उन्होंने प्रतिभागियों से कार्यशाला में चर्चा के लिए "एक स्वास्थ्य" पर विचार करने का आग्रह किया। जिसमें सभी प्राणियों के साथ-साथ पर्यावरण के समग्र स्वास्थ्य का विचार करना जरूरी है।

भविष्य की दिशा व योजनाओं की दी जानकारी : राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (एनआईईएचएस) और राष्ट्रीय विष विज्ञान कार्यक्रम एनआईएच यूएसए के डॉ. रिचर्ड वोयचिक ने अपने विचार रखे। उन्होंने पर्यावरणीय स्वास्थ्य विज्ञान के लिए भविष्य की दिशा और योजना विषय पर पर्यावरणीय स्वास्थ्य सुधार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने पर्यावरणीय स्वास्थ्य विज्ञान के लिए भविष्य की दिशाओं के रूप में उभरते विषयों की जानकारी दी। जिसमंे एक्सपोजम, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, जीव विज्ञान, पर्यावरणीय न्याय, स्वास्थ्य असमानताएं, कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञान और डेटा विज्ञान शामिल था। अमेरिका और भारत की साझेदारी के बारे में उन्होंने बताया कि कमजोर तबके में सबसे अधिक जोखिम वाली बीमारी की पहचान करना जरूरी है। इससे वायु प्रदूषण से होनेवाले परिवर्तनों का अध्ययन करना आसान होगा। ऐसा भी कहा।

Created On :   5 Jan 2024 1:16 PM IST

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