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सावधान: लगातार बढ़ रहे मरीज, 11193 की पुष्टि , 32 फीसदी को मुंह का कैंसर,14 फीसदी स्तन कैंसर से पीड़ित
- आरएसटी कैंसर अस्पताल के अध्ययन में हुआ खुलासा
- जांच व उपचार में लापरवाही से भी कैंसर को बढ़ावा
- अनुवांशिकता भी कारण बन सकता है
डिजिटल डेस्क, नागपुर । कैंसर की बीमारी में पहले क्रमांक पर मुख कैंसर आ चुका है। वहीं दूसरे क्रमांक पर स्तन व तीसरे क्रमांक पर गर्भाशय का कैंसर है। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज कैंसर अस्पताल नागपुर (आरएसटी) के अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। 2019 से 2022 में कुल 19304 मरीज पंजीकृत हुए। इनमें से 58 फीसदी यानी 11193 को कैंसर पाया गया था। कैंसर के प्रकार के आधार पर इसका वर्गीकरण व अध्ययन करने पर पहले क्रमांक पर मुख कैंसर होने का पता चला है।
19304 की जांच में 11193 को कैंसर : आरएसटी कैंसर अस्पताल में 2019 से 2022 तक कुल 19304 संदिग्ध मरीज पंजीकृत हुए। इनमें से 11193 मरीजों को कैंसर होने का निदान हुआ। अस्पताल की टीम ने इन मरीजों का अलग-अलग प्रकार के श्रेणियांे में वर्गीकरण किया। बाद में उन पर अध्ययन किया गया। अध्ययन में पहले क्रमांक पर मुंह का कैंसर होने का खुलासा हुआ। मुंह का कैंसर के 32 फीसदी यानि 3541 मरीज पाए गए। दूसरे क्रमांक पर स्तन कैंसर के 14 फीसदी यानी 1579 वहीं तीसरे क्रमांक पर 1555 गर्भाशय के कैंसर के मरीज पाए गए। आयु वर्ग के हिसाब से कैंसर रोगियों में 41-50 आयु वर्ग के 1.7 फीसदी, 51-60 आयु वर्ग के 26 फीसदी और 61-70 आयु वर्ग के 19 फीसदी मरीज पाए गए। यह माना गया कि 51-60 आयु वर्ग में कैंसर का प्रमाण अधिक है।
लापरवाही के चलते बढ़ रहा प्रमाण : रेडियोथेरेपी विभाग प्रमुख डॉ. करतार सिंह के अनुसार, कैंसर का कारक बननेवाले तत्वों का और अन्य लक्षणों का देर से पता चलने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वहीं प्राथमिक लक्षण दिखते ही जांच व उपचार में लापरवाही से भी कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इस कारण कैंसर रोगियों का प्रमाण बढ़ रहा है। अस्पताल के सलाहकार डॉ. बी. के. शर्मा ने बताया कि कैंसर की रोकथाम के लिए तुरंत जांच करवाना जरूरी है। संदेह होने पर या प्राथमिक लक्षण दिखते ही जांच व उपचार से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। समय पर उपचार मिलने पर कैंसर को बढ़ने से और उसके खतरनाक परिणाम को रोका जा सकता है।
2022 में 14.6 लाख, 2025 में होंगे 15.7 लाख मरीज : 2022 में भारत में 14जांच व उपचार में लापरवाही से भी कैंसर को बढ़ावा6 लाख कैंसर के मामले थे। 2025 में यह संख्या 15.7 लाख तक पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसमें स्तन कैंसर, मुख कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, एसोफैगस कैंसर का प्रमाण अधिक है। कैंसर के मामले में अमेरिका व चीन के बाद तीसरे स्थान पर भारत है। भारत के पांच राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, बिहार और तामिलनाडु में कैंसर का प्रमाण अधिक है। साल 2022 में उत्तरप्रदेश में 2.11 लाख, महाराष्ट्र में 1.21 लाख, बंगाल में 1.13 लाख, बिहार में 1.10 लाख व तामिलनाडु में 82 हजार मामले सामने आये थे।
तंबाकू का शौक भारी पड़ रहा : आरएसटी अस्पताल सूत्रों ने बताया कि कैंसर के विविध प्रकारों में मुख कैंसर का प्रमाण 40 फीसदी है। मुख कैंसर के प्रमुख कारणों में 80 फीसदी कैंसर तंबाकू के शौक के कारण हो रहा है। देश में अध्ययनों से पता चला है कि नौ लोगों में से एक को उसके जीवनकाल में कैंसर प्रभावित करता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निदेशक डॉ. प्रशांत माथुर के अनुसार कैंसर जाेखिम कारकों के कारण होता है। इसके अलावा अनुवांशिकता भी कारण बन सकता है। तंबाकू के अलावा शराब का सेवन, अवांछित आहार, शारीरिक निष्क्रियता, वायु प्रदूषण, संक्रमण, मानव पैपिलोमा वायरस आदि के कारण कैंसर का खतरा बना रहता है।
10 में एक पुरुष व 12 में एक महिला की कैंसर से मौत : विश्व स्तर पर आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी सामने आई है कि पीड़ितों में 10 में से एक पुरुष व 12 में से एक महिला की मृत्यु कैंसर के कारण होती है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फेफड़े और स्तन कैंसर को विश्व का आम कैंसर बताया है। इससे विश्वभर में मरनेवालों की संख्या लाखों में बतायी जाती है। इसलिए दुनियाभर में कैंसर का सस्ता उपचार, सस्ती दवाएं और बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता है। स्वास्थ्य यंत्रणा को इस पर गंभीरता से काम करने का सुझाव दिया गया है।
Created On :   5 July 2024 12:44 PM IST