मदर्स डे: माताओं ने दुनिया से विदा लेते-लेते दूसरों को दिया है जीवन, कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन

माताओं ने दुनिया से विदा लेते-लेते दूसरों को दिया है जीवन, कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन
  • मदर्स डे पर खास माताओं का जिक्र
  • मां के प्रति प्रेम, सम्मान, कृतज्ञता व्यक्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चवरे। मां हमें दुनिया दिखाती है, कदम आगे बढ़ाना सिखाती है। मां जीवनभर हमें शीतल छाया देती है। मां ही होती है, जिसके लब पर हर पल दुआएं होती हैं। सभी की मां ऐसी ही होती है, लेकिन आज ‘मदर्स डे’ पर हम ऐसी ‘माताओं’ का जिक्र कर रहे हैं, जिन्होंने दुनिया से विदा लेते-लेते दूसरों को जीवन दिया है। उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह सर्वोत्तम दिन है। कहा जाता है कि अमेरिकन एना जार्विस ने इस दिन की शुरुआत की थी। उसे अपनी मां से खास लगाव था। वह मां के साथ ही रहती थी। उसने शादी नहीं की थी। मां की मृत्यु के बाद एना ने मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने ‘मदर्स डे’ की शुरुआत की। तब से दुनियाभर में मां के प्रति प्रेम, सम्मान, कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

शीतल बडोले

नारा रोड जरीपटका निवासी शीतल बडोले (50) निजी कंपनी में लेखापाल के पद पर सेवारत थी। अचानक तबीयत बिगड़ी, तो समीप के अस्पताल में भर्ती किया गया। हालत और खराब होने लगी, तो एम्स में भर्ती किया गया। उपचार को कोई प्रतिसाद नहीं मिला। सभी तरह की जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। शीतल को 20 साल की बेटी विपाशा है। एम्स के अंगदान समन्वयक टीम ने विपाशा को अंगदान के लिए समुपदेशन किया। विपाशा ने मां के अंगों का दान करने का निर्णय लिया। इसी जनवरी में विभागीय अंग प्रत्यारोपण समिति की तरफ से प्रक्रिया पूरी करने के बाद अंगदान प्रक्रिया पूरी की गई। शीतल के अंगदान से तीन युवाओं को जीवनदान मिला है। शीतल की दो किडनी व एक लिवर प्रत्यारोपित किया गया। दोनों आंखों के कार्नियां नेत्ररोग विभाग को दान किए गए। इस तरह इस मां ने दुनिया से अलविदा होते-होते दूसरे लोगों को नया जीवन दिया।

मनीषा कोकांडे

यवतमाल जिले की कलंब तहसील के मुसल गांव की निवासी 30 साल की मनीषा कोकांडे के पति का सालभर पहले निधन हुआ था। उसे तीन व पांच साल के दो बच्चे हैं। घर की जिम्मेदारी निभाने वह खेत मजदूरी करती थी। बच्चों को शिक्षित करने का उसका सपना था। एक दिन वह कलंब से अपनी दोपहिया वाहन से घर लौट रही थी। रास्ते में स्पीड ब्रेकर पर उसका वाहन उछलकर गिरा। सिर में गंभीर चोटें आईं। उसे सावंगी के आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल में भर्ती किया गया। उपचार को प्रतिसाद नहीं मिला। जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित किया। मनीषा के पिता रमेश व माता मंदा पेंदोर को अंगदान के लिए समुपदेशन किया गया। उन्होंने अनुमति देने के बाद सारी प्रक्रिया पूरी की गई। मनीषा की दोनों किडनी जरुरतमंद मरीजों पर प्रत्यारोपित की गई। इस तरह इस मां ने जाते जाते दो लोगों को जीवन दिया।

सुधा गुहे

वणी तहसील के सेलु गांव में रहनेवाली सुधा गुहे (43) के परिवार में पति संजय, बेटी नेहा (20) मानसी (19) है। सुधा को हमेशा सिरदर्द होता था। इसलिए उसे सावंगी के आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल में भर्ती किया गया। दो दिन तक उपचार के बावजूद प्रतिसाद नहीं मिला। सभी तरह की जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने ब्रेन डेड घोषित किया गया। परिजनों को अंगदान के लिए समुपदेशन किया गया। अनुमति मिलने के बाद दस्तावेज प्रक्रिया पूरी की गई। सुधा की एक किडनी व लिवर दो जरुरतमंद मरीजों पर प्रत्यारोपित किये गए। इस तरह दोनों को नया जीवन मिला।

वंदना सूत्रपवार

सावली चंद्रपुर निवासी वंदना सूत्रपवार (46) को घर में काम करते समय चक्कर आया, वह गिर गई। उसे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, वहां उपचार नहीं हो पाया। उसे नागपुर एम्स में भर्ती किया गया। यहां भी उपचार को प्रतिसाद नहीं मिला। उसे ब्रेन हेमरेज होने की पुष्टि हुई। उसके मस्तिष्क में रक्तस्राव अधिक हो चुका था। हालत बिगड़ती जा रही थी। समन्वयकों ने परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया। पति दीपक ने अंगदान के लिए अनुमति दी। अंग प्रत्यारोपण समिति की कार्यवाही के बाद वंदना की दोनों किडनी दो लोगों को और लिवर दान किया गया। इस तरह तीन लोगों को नया जीवन मिला।

Created On :   12 May 2024 10:27 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story