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आरक्षण: सरकार के दबाव में मराठा रिपोर्ट जल्दी तैयार, ओबीसी आयोग के पूर्व सदस्य का आरोप
- आशंका : आरक्षण कोर्ट में टिकेगा या नहीं, कह नहीं सकते
- दावा : रिपोर्ट पढ़े बिना ही सदस्यों के हस्ताक्षर लिए गए
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य ओबीसी आयोग के पूर्व सदस्य पूर्व न्या. चंद्रलाल मेश्राम का कहना है कि मराठा आरक्षण कोर्ट में टिकेगा या नहीं, यह कह नहीं सकते। रिपोर्ट जल्दबादी में बनाने के साथ ही रिपोर्ट में तकनीकी खामी रहने की आशंका जताई हैै। पढ़े बिना ही रिपोर्ट पर सदस्यों के हस्ताक्षर लेने का दावा उन्होंने किया है। यह भी दावा किया कि आयोग के अध्यक्ष ने सभी सदस्यों को होटल में बुलाया आैर वहीं पर सदस्यों के हस्ताक्षर लिए। इसके तुरंत बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई।
रिपोर्ट में तकनीकी खामी की आशंका
चंद्रलाल मेश्राम ने दावा किया कि सगे संबंधी वाला शब्द कोर्ट की कसौटी पर टिकेगा या नहीं, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। रिपोर्ट जल्दबाजी में तैयार की गई हैै। मराठा समाज के साथ धोखा किया जा रहा है। रिपोर्ट पर मैं असहमति जता सकता हूं, ऐसी आशंका होने से मुझे पदमुक्त किया गया। होटल में जिस तेजी से काम हुआ, उसे देखते हुए दावा किया जा सकता है कि सदस्यों को रिपोर्ट पढ़ने का मौका ही नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग पर सरकार का दबाव था और जो सरकार के मर्जी के मुताबिक काम नहीं करते थे, उन्हें आयोग से बाहर किया गया। आयोग ने मराठा समाज को स्वतंत्र रूप से आरक्षण देने की सिफारिश की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मैं मराठा के खिलाफ नहीं, लेकिन सर्वे से लेकर रिपोर्ट तैयार करने तक की सारी प्रक्रिया नियम, शर्तों व मापदंडों के अनुरूप हो, यही मेरा कहना था। कोर्ट में आरक्षण मुश्किल में नहीं पड़ना चाहिए, जैसा कि इसके पूर्व हो चुका है।
मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल जारी
उधर मराठा आरक्षण को लेकर सरकार की ओर से जारी अध्यादेश को कानून में बदलने की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल जारी है। अंतरवली सारथी में वो भूख हड़ताल पर बैठे हैं. जरांगे के अनशन का सोमवार (19 फरवरी) को 10वां दिन है. हालांकि कोर्ट के आदेश से उनका इलाज किया जा रहा है। सरकारी मेडिकल अधिकारियों की देखरेख में उनका इलाज किया जा रहा है। सरकार ने मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए 20 फरवरी को विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है
Created On :   19 Feb 2024 2:45 PM IST