Nagpur News: मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा - अब राष्ट्रीय राजनीति पर भी होगा असर

मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा - अब राष्ट्रीय राजनीति पर भी होगा असर
  • मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बना लेना
  • विलेन के तौर पर विपक्ष के निशाने पर रहे देवेन्द्र फडणवीस
  • विधानसभा में शेर पढ़ा था

Nagpur News : अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा था। विदर्भ की दस सीटों में से भाजपा को 2 सीटें ही मिली थीं। जिसके बाद सवाल उठने लगा था कि चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा वापसी कर पायेगी? लेकिन देवेन्द्र फडणवीस ने संघ के सहारे जमीनी हकीकत को समझते हुए रणनीति बनाई और हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया। महायुति सरकार ने चार महीने पहले ही ‘लाडली बहन’ योजना के माध्यम से चुनाव के पूर्व तक महिलाओं के खाते में साढ़े सात हजार, साढ़े सात हजार रुपए जमा किए। लाडली बहन योजना गेमचेंजर बन गई। लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने के मुद्दे पर पराजय झेलने वाली भाजपा ने इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखा और मतदाताओं को यह समझाने में सफल रहे कि यह मुद्दा फेक नेरिटिव का हिस्सा था। लोकसभा चुनाव में मराठा के साथ-साथ ओबीसी समाज भी भाजपा से दूर था। लेकिन इस बार ओबीसी समाज ने भी भाजपा का साथ दिया। मनोज जरांगे ने अंतिम समय पर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने के बाद मराठा वोटों का विभाजन हो गया जिसका लाभ भाजपा को हुआ।

भाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में विदर्भ की 62 सीटों में 45 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन में भी आश्चर्यजनक सुधार किया है। भाजपा को तब 28 सीटें मिली थी जो 2014 के मुकाबले में 17 सीटें कम थी। तब भाजपा को पांच लाख वोटों का नुकसान हुआ था। विदर्भ की 62 सीटों में भाजपा ने 47 शिवसेना (शिंदे गुट) ने 9 तथा राकांपा (अजित पवार) गुट ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि कांग्रेस ने 41, राकांपा ( शरद पवार) गुट ने 12 व शिवसेना ( उबाठा) ने 9 सीटों पर किस्मत आजमाई थी।

महायुति सीट

भाजपा 39

शिवसेना (शिंदे) 04

राकांपा (अजित पवार) 06

महाविकास आघाड़ी सीट

कांग्रेस 08

शिवसेना (उबाठा) 04

राकांपा (शरद पवार) 00

चुनाव नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर भी होगा असर

महाराष्ट्र चुनाव में मिली बंपर जीत ने भाजपा के हौंसले बढ़ा दिए हैं। महाराष्ट्र में मिली शानदार जीत ने भाजपा का न केवल आत्मविश्वास बढ़ाया है, बल्कि इसके बाद अब मोदी सरकार पर तेलुगुदेशम और जदयू जैसे सहयोगी दलों का दबाव भी कम होगा। दरअसल लोकसभा चुनाव में 240 सीटों तक सिमटना भाजपा और नरेन्द्र मोदी के लिए एक झटके के रूप में देखा गया था और माना जा रहा था कि ब्रांड मोदी कमजोर हो रहा है। लेकिन हरियाणा में मिली जीत, जम्मू-कश्मीर में बेहतर प्रदर्शन के बाद अब महाराष्ट्र में मिली प्रचंड जीत ने भगवा पार्टी को नई ऊर्जा दे दी है।

प्रधानमंत्री मोदी अब और होंगे मजबूत

इस जीत के बाद एनडीए के अंदर एक तरफ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दबदबा और बढ़ेगा तो दूसरी तरफ सहयोगी पार्टियों का दखल कमजोर पड़ेगा। तेलुगुदेशम सुप्रीमों व आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तथा जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब मोदी सरकार पर पहले की तरह दबाव बनाने या फिर मोलभाव करने की स्थिति में नहीं होंगे। अगले वर्ष के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। सियासी जानकार बताते हैं कि इस जीत के बाद भाजपा बिहार में जदयू के साथ सीट बंटवारे पर मनमाफिक बात करने की स्थिति में भी होगी।

शिवसेना (यूबीटी) की हार के भी है मायने

महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा ने प्रभावी जीत दर्ज की है तो ठाकरे परिवार को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) की हार रणनीतिक तौर पर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी। दरअसल हिन्दुत्व के झंडाबरदार रहे बाल ठाकरे के परिवार के कमजोर होने के बाद भाजपा के लिए प्रदेश में हिन्दुत्व की सबसे बड़ा चैंपियन बनने का रास्ता साफ हो गया है।

केंद्र में बढ़ सकती है शिवसेना-राकांपा की हिस्सेदारी

महाराष्ट्र में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज कर चुकी भाजपा पर अब शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) का दबाव भी कम होगा। हालांकि भगवा पार्टी इन दोनों सहयोगियों को नाराज करने की स्थिति में नहीं होगी। वरिष्ठ पत्रकार संजय राय कहते हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा अगर अपना मुख्यमंत्री बनाती है, जिसकी संभावना अधिक है, तो इसके एवज में शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) के नेताओं को कहीं और समायोजित करने का उस पर दबाव बढ़ेगा। माना जा रहा है कि इसके लिए दोनों सहयोगी दलों को उपमुख्यमंत्री पद देने के साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी हिस्सेदारी बढ़ानी पड़ सकती है।

संसद सत्र चलाना होगा आसान

महाराष्ट्र में जीत के बाद सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र के संचालन में भी सत्तापक्ष को आसानी हो सकती है। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी का प्रदर्शन बेहतर रहने की स्थिति में विपक्षी पार्टियां संसद में गौतम अदाणी, मणिपुर, महंगाई जैसे मसलों पर कहीं ज्यादा आक्रामक होती, लेकिन इस हार के बाद विपक्षी दलों की गोलबंदी प्रभावित होगी और वक्फ बोर्ड विधेयक, एक देश-एक चुनाव जैसे विधेयकों पर विपक्ष का विरोध कमजोर पड़ेगा।

Created On :   24 Nov 2024 4:22 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story