New Delhi News: महाराष्ट्र में रिकॉर्ड जीत के बाद बिहार में भी पार्टी का सीएम संभव, एनडीए में दबदबा

महाराष्ट्र में रिकॉर्ड जीत के बाद बिहार में भी पार्टी का सीएम संभव, एनडीए में दबदबा
  • भाजपा ने खोता जनाधार फिर पाया
  • टीडीपी-जदयू तोलमोल की स्थिति में नहीं रहेंगी
  • भाजपा मनमुताबिक डील करेगी
  • शरद पवार: अब तक 14 चुनाव लड़े वोट शेयर गिरा, अब उठना मुश्किल

New Delhi News : महाराष्ट्र में लगभग 89 फीसदी स्ट्राइक रेट से अब तक की सर्वाधिक सीटें जीतकर भाजपा ने रिकॉर्ड बना दिया है। इसका सबसे बड़ा असर अगले साल होने वाले बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव में पड़ने की संभावना है। पार्टी ने ऐसा ही प्रदर्शन बरकरार रखा तो पहली बार बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बनेगा। इस ऐतिहासिक जीत के बाद राष्ट्रीय राजनीति में भी भाजपा मजबूत होगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी का जनाधार गिरता दिखने लगा था। हरियाणा चुनाव में तीसरी बार वापसी के बाद पार्टी का मनोबल बढ़ा तो था, लेकिन विपक्ष का वोट 11 फीसदी और सीटें भी बढ़ने से पार्टी नेता मान रहे थे कि विपक्ष के बाई चांस से ही जीत मिली। महाराष्ट्र की जीत ने इस मिथक पर विराम लगा दिया है। राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के लिए सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब सहयोगी दल दबाव बनाने से परहेज करेंगे। एनडीए में भाजपा का दबदबा बढ़ेगा। वहीं सहयोगी पार्टियों का दखल कमजोर होगा। अब सहयोगियों की तरफ से भाजपा के वैचारिक मुद्दे को लेकर ना-नुकर की गुंजाइश कम रहेगी। ऐसे में पार्टी लोकसभा में अपने दम पर बहुमत से दूर रहने के बाद भी वक्फ बोर्ड विधेयक, समान नागरिक संहिता आदि पर बढ़ने से संकोच नहीं करेगी। हालांकि जाित जनगणना जैसे मुद्दे पर विपक्ष के अभियान पर भाजपा पहले की तरह चुप्पी साधे हुए इस मुद्दे के ताप को समय के साथ नरम पड़ने का इंतजार कर सकती है।

मायने... टीडीपी-जदयू तोलमोल की स्थिति में नहीं रहेंगी, भाजपा मनमुताबिक डील करेगी

  • भाजपा अब महाराष्ट्र में इस स्थिति में है कि उस पर शिवसेना (शिंदे) या एनसीपी (अजित पवार) दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है। चाहे वह सीएम पद हो या विभागों का बंटवारा।
  • अगले साल बिहार में चुनाव हैं। पार्टी वहां नीतीश कुमार के साथ सीटों को लेकर मन मुताबिक डील कर सकेगी। नीतीश कुमार के पलटी मारने की सियासी संभावना भी खत्म समझें।
  • डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की विचारधारा हावी होती दिख रही है। छत्तीसगढ़ में महतारी योजना या मप्र की लाड़ली बहना जैसी योजना ने हरियाणा और महाराष्ट्र में भी रंग दिखाया है।
  • भाजपा जिस तरह अपनी ताकत बढ़ा रही है, उससे अब उसे सहयोगी दलों की जरूरत कम होगी। इसके बजाय अब सहयोगी दलों को भाजपा का सहारा लेना पड़ेगा।
  • केंद्र सरकार को भले चंद्रबाबू व नीतीश का समर्थन हो, पर भाजपा की जीतों से समीकरण बदलेंगे। नीतीश, चंद्रबाबू तोलमोल नहीं कर पाएंगे। भाजपा में मोदी का प्रभामंडल बढ़ेगा।

शरद-उद्धव का सियासी भविष्य दांव पर

84 साल के शरद पवार ने प्रचार के बीच बारामती से कहा था, ‘भविष्य में चुनाव नहीं लड़ूंगा। 14 बार चुनाव लड़ चुका हूं। समाज के लिए काम करना चाहता हूं।’ ऐसा होता है तो यह उनका आखिरी चुनाव होगा। अगले लोकसभा व विधानसभा चुनाव 2028 में संभावित हैं। ऐसे में 89 की उम्र में चुनावी मैदान संभालना मुश्किल होगा। शरद ने 1960 में कांग्रेस से करियर शुरू किया था। इस बार 86 प्रत्याशी खड़े किए, पर 10 ही जीते। यह पवार का सबसे खराब प्रदर्शन है। पार्टी का वोट शेयर घटकर 11.29% रह गया है। यह उनके 6 दशक लंबी सियासत का सबसे खराब चुनाव साबित होगा।

उद्धव ठाकरे: जनता ने नकार दिया हिंदुत्व की हुंकार कमजोर पड़ेगी

बालासाहेब ठाकरे के 64 वर्षीय बेटे उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इस बार 95 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन सिर्फ 20 पर सिमट गई है। वोट शेयर 10.10% रह गया है। इससे यह तय हो गया है कि महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना (शिंदे) को ही असली शिवसेना माना है और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को नकार दिया है। इसके मायने यह भी हैं कि हिंदुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमजोर होगी। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने 2019 में एनडीए से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करना स्वीकार नहीं किया।

विदर्भ : सात जिलों की 35 सीटों में से 29 पर महायुति का कब्जा

अमरावती, वर्धा, यवतमाल, चंद्रपुर, गड़चिरोली, गोंदिया, भंडारा. राज्य में 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में महायुति ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए सात जिलों की 35 में से 29 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया, जबकि महाविकास आघाड़ी को मात्र 6 सीटों पर संतोष करना पड़ा। विदर्भ के सात जिलों की 35 सीटों के लिए हुए चुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित हो गए। बदलते राजनीतिक परिदृष्य के बीच महायुति और महाविकास आघाड़ी के साथ ही बड़ी संख्या में चुनाव मैदान में उतरे बागियों ने इस चुनाव को काफी रोमांचक बना दिया था। इन 35 सीटों में से महायुति ने जहां 29 सीटें हासिल कीं, वहीं महाविकास आघाड़ी मात्र 6 सीटों पर सिमटकर रह गई। महायुति में भाजपा को 21, अजित गुट को 5, शिंदे गुट को 2 तथा युवा स्वाभिमान को 1 सीट हासिल हुई। वहीं, महाविकास आघाड़ी से कांग्रेस को 4 तथा शिवसेना (उबाठा) को मात्र 2 सीटें मिलीं। चुनाव मैदान में कुल 559 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे थे, जिनमें स्थापित दलों के साथ ही बड़े पैमाने पर निर्दलीय और बागी भी मैदान में डटे हुए थे।


Created On :   24 Nov 2024 3:47 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story