शिक्षा: पाठ्यक्रम प्रारूप से मनुस्मृति का संदर्भ हटाया जाएगा , 3 हजार 900 आपत्तियां, सुझाव दाखिल

पाठ्यक्रम प्रारूप से मनुस्मृति का संदर्भ हटाया जाएगा , 3 हजार 900 आपत्तियां, सुझाव दाखिल
  • नागपुर से हुआ था विरोध
  • छात्रों ने किया था पोस्टकार्ड आंदोलन
  • कई शिक्षाविदों ने निर्णय पर सवाल उठाए

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नए शैक्षणिक सत्र में मनुस्मृति से लिया गया श्लोक हटाने को लेकर राज्यभर शिक्षाविद से लेकर छात्र और राजनेताओं ने भी आंदोलन किया था। मनुस्मृति पर बढ़ता विरोध, आपत्तियां और सुझाव को देखते हुए अाखिरकार पाठ्यक्रम प्रारूप में से मनुस्मृति का संदर्भ हटाने का निर्णय लिया गया है। विशेष बात यह है कि, मनुस्मृति को लेकर नागपुर में भी जमकर विरोध हुआ। साथ ही छात्रों ने भी नागपुर से पूरे राज्य में पोस्टकार्ड आंदाेलन चलाया था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार पाठ्यक्रम प्रारूप पर करीब 3 हजार 900 आपत्तियां और सुझाव दाखिल किए गए हैं। इन आपत्तियों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। साथ ही इस प्रारूप में से मनुस्मृति का संदर्भ हटाया जाने वाला है। एससीईआरटी के संचालक राहुल रेखावार ने जानकारी दी है।

यह था विवाद : राज्य पाठ्यक्रम प्रारूप में मनुस्मृति ग्रंथ के संदर्भों के उपयोग के कारण विवाद में आ था। राज्य पाठ्यक्रम प्रारूप के "मूल्य शिक्षा और स्वभाव' अध्याय, जो स्कूली बच्चों के चरित्र निर्माण पर केंद्रित है, मनुस्मृति से लिए गए बड़ों का सम्मान करने पर संस्कृत श्लोक से शुरू होता है। हालाँकि, इस विकल्प ने प्रारूप में मनुस्मृति को संदर्भित करने के पीछे के इरादे के बारे में बहस छेड़ दी थी। राज्य में कई शिक्षाविदों ने मनुस्मृति के संदर्भ के निर्णय पर सवाल उठाए थे।

शिक्षा विभाग का फैसला संविधान विरोधी : नागपुर शहर में सामाजिक कार्यकर्ता अनिकेत कुत्तरमारे, आशीष फुलझेले, अक्षय खोब्रागडे के नेतृत्व में पोस्टकार्ड आंदोलन शुरू किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि, शिक्षा विभाग द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 3 से कक्षा 12वीं तक मनुस्मृति का श्लोक अनिवार्य किया गया है। शिक्षा विभाग का यह फैसला पूरी तरहा से संविधान विरोधी और संविधान में दिए गए धर्मनिरपेक्ष शब्द पर एक तरह से आघात है। इसलिए इसका विरोध करते हुए प्रदर्शनकारीयों ने सोशल मीडिया द्वारा पूरे राज्य के छात्र और जागरुक नागरिकों को अपील करते हुए शिक्षा मंत्री को पोस्टकार्ड भेजने का अपील किया था।

शिक्षाविदों की मिलीजुली प्रतिक्रिया : इस मुद्दे को पर शहर के शिक्षाविदों ने भी संविधान को सर्वोच्च माना जाए, शिक्षा के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए, महान संस्कृति का अध्ययन करने में कोई गलत बात नहीं ऐसी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी थी।

Created On :   17 July 2024 5:12 PM IST

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