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आक्रोश: नागपुर जिला परिषद के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं, झेल रहे आर्थिक परेशानी
- हाई कोर्ट में वित्त विभाग का शपथ-पत्र
- याचिका दायर कर की पेंशन की मांग
- कर्मचारी, शिक्षक, जिला परिषद के ग्राम सेवक होंगे प्रभावित
डिजिटल डेस्क, नागपुर । बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में वित्त विभाग में जानकारी दी कि, राज्य सरकार द्वारा 2 फरवरी 2024 को पुरानी पेंशन के संबंध में लिया गया शासन निर्णय जिला परिषद कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा। वित्त विभाग की उपसचिव मनीषा कामटे ने इस संबंध में कोर्ट में शपथ-पत्र दायर किया है। सरकार के इस फैसले से जिला परिषद में कार्यरत कर्मचारी, शिक्षक, जिला परिषद के ग्राम सेवक प्रभावित होंगे।
नागपुर खंडपीठ में शैलेन्द्र कोचे और अन्य कर्मचारियों पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, 1 नवंबर 2005 के बाद पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई। हालांकि, केंद्र सरकार के 3 मार्च 2023 के कार्यालय आदेश में 1 नवंबर 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना स्वीकार करने का विकल्प दिया गया था। इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने 2 फरवरी 2024 को फैसला लिया कि, जिन सरकारी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया 1 नवंबर 2005 के पहले शुरू हुई और जिन्होंने 1 नवंबर 2005 के बाद नियुक्ति दी गई उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा। हालांकि, वित्त विभाग का यह सरकारी निर्णय केवल राज्य सरकार के कर्मचारियों पर ही लागू है। वित्त विभाग ने शपथ-पत्र में खुलासा किया है कि, इसका लाभ जिला परिषद के कर्मचारियों को नहीं मिलेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. प्रदीप क्षीरसागर ने पैरवी की।
आदिवासी विकास परिषद ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत : बॉम्बे हाई कोर्ट ने धनगर समाज की एसटी (अजजा) वर्ग में शामिल कर आरक्षण देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसले का अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद विदर्भ विभाग ने स्वागत किया है। आदिवासी विकास परिषद ने कहा कि, धनगर समाज ने अनुसूचित जनजाति का आरक्षण पाने के लिए सड़क पर लड़ाई लड़कर सरकार पर दबाव बनाने की भी कोशिश की और अदालत में याचिका भी दायर की। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व आदिवासी विकास मंत्री मधुकर पिचड़, पूर्व मंत्री वसंतराव पुरके के नेतृत्व में आदिवासी विकास परिषद ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज को इस बात के सबूत सौंपे कि, धनगर आदिवासियों के सामाजिक मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं। धनगर समुदाय को कोई अन्य आरक्षण दिया जाए, लेकिन अनुसूचित जनजाति से आरक्षण न दिया जाए, ऐसी आदिवासी विकास परिषद ने स्पष्ट भूमिका रखी थी। आदिवासी विकास परिषद विदर्भ अध्यक्ष सूर्यकांत उईके, विदर्भ उपाध्यक्ष घनश्याम मडावी, विदर्भ महासचिव दिनेश शेराम और अन्य पदाधिकारीयों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
Created On :   20 Feb 2024 12:49 PM IST