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जनता जनार्दन: लोकसभा चुनाव ,भाजपा के नितीन गडकरी की हैट्रिक, कांग्रेस के श्याम बर्वे ने जीता गढ़
- मतगणना के शुरूआती रुझान से ही गडकरी व बर्वे की जीत के संकेत मिलने लगे थे
- नागपुर में 6,55,027 वोट नितीन गडकरी को मिले ,1,37,603 मतों के अंतर से किया पराजित
- रामटेक में 6,05,040 वोट श्याम बर्वे को मिले, राजू पारवे को हासिल 77,787 मतों के अंतर से पराजित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा चुनाव का परिणाम जिले में उम्मीदों के अनुरूप ही रहा है। नागपुर में भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी ने जीत की हैट्रिक लगाई, तो रामटेक में कांग्रेस उम्मीदवार श्याम बर्वे जीते। बर्वे की जीत के साथ ही कांग्रेस रामटेक में अपना खोया गढ़ वापस पाने में भी सफल रही है। मतगणना के 20वें राउंड में गडकरी ने कांग्रेस उम्मीदवार विकास ठाकरे को 1,37,603 मतों के अंतर से पराजित किया। गडकरी को 6,55,027 व ठाकरे को 5,17,424 मत मिले हैं। रामटेक में कांग्रेस उम्मीदवार बर्वे ने 77,787 मतों के अंतर से शिवसेना (शिंदे) उम्मीदवार राजू पारवे को पराजित किया। बर्वे को 6,05,040 व पारवे को 5,27,253 मत मिले। मंगलवार को मतगणना के आरंभिक रुझान से ही गडकरी व बर्वे की जीत के संकेत मिलने लगे थे। दोनों उम्मीदवार आरंभ से ही मतों के मामले में आगे रहे।
नागपुर के विकास को प्राथमिकता : मतदाताओं के प्रेम व विश्वास की जीत हुई है। नागपुर को विकसित शहर बनाएंगे। देश के विकसित शहरों में नागपुर को आगे लाएंगे। शहर विकास के लिए कटिबद्ध हूं। कार्यकर्ताओं का प्रेम व विश्वास बड़ी ताकत है। -नितीन गडकरी, विजयी उम्मीदवार
गडकरी की जीत : भाजपा के अध्यक्ष रहे गडकरी 10 वर्ष से केंद्र में मंत्री हैं। 2014 में उन्होंने 3.80 लाख व 2019 में 2.16 लाख मतों के अंतर से चुनाव जीता था। इस बार नागपुर में 26 उम्मीदवार थे। गडकरी, ठाकरे के बीच सीधा मुकाबला हुआ। बसपा उम्मीदवार चुनाव के समय ही कमजोर दिखने लगे थे। वंचित बहुजन आघाड़ी ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। भाजपा दावा कर रही थी कि गडकरी 5 लाख मतों के अंतर से जीतेेंगे, लेकिन चुनाव आरंभ होते ही विविध चुनौतियां सामने आने लगी थीं। विधायक व कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे को उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा था। ऐसे में दावा किया जा रहा था कि गडकरी के लिए जीत की हैट्रिक चुनौतीपूर्ण होगी। इससे पहले 13 बार नागपुर से कांग्रेस जीत चुकी है। कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार ने 1998 से 2009 तक चुनाव जीता। जीत की हैट्रिक बनाई थी। गडकरी ने विविध चुनौतियों को दूर करते हुए जीत की हैट्रिक बनाई है।
विकास की राजनीति करेंगे : पराजय से निराश न होकर सकारात्मक विकास की राजनीति करेंगे। 10 वर्ष से केंद्रीय मंत्री रहे नेता के विरुद्ध चुनाव लड़ने का मौका मिला। प्रचार के लिए पर्याप्त समय नहीं था। फिर कांग्रेस व इंडिया आघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत की। कांग्रेस का मत बढ़ा है। कार्यकर्ताओं का आभार मानता हूं। -विकास ठाकरे, पराजित उम्मीदवार
बसपा पिछड़ी : बसपा को पहले से कम मत मिले हैं। नागपुर में बसपा उम्मीदवार योगेश लांजेवार ने 19,242 व रामटेक में संदीप मेश्राम ने 25,674 मत पाए हैं। रामटेक में कांग्रेस के बागी व वंचित आघाड़ी समर्थित उम्मीदवार किशाेर गजभिये को 24,148 मत मिले हैं।
केदार बने किंगमेकर : रामटेक में पूर्व मंत्री सुनील केदार किंगमेकर की भूमिका में है। उन्होंने रामटेक में पूर्व जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे को कांग्रेस उम्मीदवार बनाने का प्रयास किया। किशोर गजभिये की बगावत व अन्य कई कांग्रेस नेताओं की असहमति के बाद भी केदार ने रश्मि को उम्मीदवारी दिलाई थी। हालांकि जाति प्रमाण पत्र का विषय ऐसे गर्माया कि रश्मि की उम्मीदवारी रद्द हो गई। तब कांग्रेस ने रश्मि के पति श्याम बर्वे को उम्मीदवार बनाया। श्याम बर्वे उपसरपंच रहे हैं। विविध चुनौतियों के बीच श्याम की जीत का श्रेय सुनील केदार को दिया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि केदार ही किसी उपसरपंच को सांसद बना सकते हैं। इससे पहले विधान परिषद की स्नातक निर्वाचन सीट व शिक्षक निर्वाचन सीट में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत के लिए भी केदार की रणनीति की सराहना की गई। स्नातक निर्वाचन सीट से पूर्व महापौर संदीप जोशी की पराजय को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पराजय कहा जाने लगा था। शिक्षक निर्वाचन सीट के चुनाव में भी भाजपा को झटका लगा था। इस क्षेत्र से दो बार चुने गए नागो गाणार को सुधाकर अडबाले ने आसानी से पराजित कर दिया। जिला परिषद में केदार के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने सत्ता पाई है। फिलहाल केदार बैंक घोटाले में जेल से जमानत पर छूटे हैं। उनकी सावनेर से विधानसभा की सदस्यता भी रद्द है।
न्याय के लिए संघर्ष करेंगे : कांग्रेस ने न्याय के लिए संघर्ष किया। सामान्य कार्यकर्ता हूं। सामान्य ही बना रहूंगा। लोकसभा में क्षेत्र की जनसमस्याओं को रखने का प्रयास करूंगा। न्याय के लिए आवश्यकता अनुसार संघर्ष करते रहेंगे। वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में अगले चुनावों में भी क्षेत्र में कांग्रेस की जीत के लिए कार्य करेंगे। क्षेत्र की जनता का आभार मानता हूं। - श्याम बर्वे, विजेता उम्मीदवार रामटेक
फडणवीस-बावनकुले का गणित कहां बिगड़ा : रामटेक क्षेत्र में महायुति की जीत के लिए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने ताकत लगा रखी थी। अब सवाल किया जा सकता है कि उनका चुनावी गणित कहां बिगड़ा। फडणवीस व बावनकुले ने 6 माह पहले से ही इस क्षेत्र के लिए रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। दावा किया जा रहा था कि इस क्षेत्र से पहली बार भाजपा उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा, लेकिन गठबंधन की राजनीति में फडणवीस-बावनकुले की रणनीति उलझ गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नहीं माने। शिंदे के नेतृत्व की शिवसेना के लिए भाजपा को यह सीट छोड़ना पड़ा। हालांकि शिंदे दो बार इस क्षेत्र से चुने गए शिवसेना नेता कृपाल तुमाने को उम्मीदवार नहीं बना पाए।
उमरेड में कांग्रेस के विधायक पद से इस्तीफा दिलाकर राजू पारवे को शिंदे ने शिवसेना में प्रवेश दिलाया। बाद में पारवे को महायुति का उम्मीदवार बनाया गया। चर्चा रही कि पारवे शिवसेना िशंदे के कोटे से भले ही उम्मीदवार थे, लेकिन भाजपा ने ही उन्हें उम्मीदवारी दी थी। सुना गया कि पारवे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के साथ भाजपा में शामिल होने वाले थे, लेकिन फडणवीस-बावनकुले ने दांव चलते हुए पारवे को शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से उम्मीदवार बनवाया। पारवे के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा कांद्री में हुई। कांग्रेस के नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्य श्याम बर्वे कांद्री के ही हैं। केदार के करीबी मनोहर कुंभारे व रामटेक में कांग्रेस उम्मीदवार रहे उदयसिंह यादव को चुनाव के समय भाजपा में शामिल कराया गया, लेकिन महायुति चुनाव जीतने में सफल नहीं रही।
Created On :   5 Jun 2024 12:20 PM IST