वन्यजीव: अब और अधिक गुलजार हुआ गोरेवाड़ा जू, ग्राउंड बारहसिंगा और हॉग डियर पहुंचे

अब और अधिक गुलजार हुआ गोरेवाड़ा जू,  ग्राउंड बारहसिंगा और हॉग डियर पहुंचे
  • हरबीओवर सफारी में लुभा रहे
  • पहले से विभिन्न प्रजाति के हिरण व बारहसिंगे मौजूद
  • उत्तराखंड स लाए गए हैं वन्यजीव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोरेवाड़ा अंतर्राष्ट्रीय जू में घूमने वालों को अब हार्ड ग्राउंड बारहसिंगा व हॉग डियर लुभा रहे हैं। हाल ही में इन्हें उत्तराखंड के जिम कॉरपेड नेशनल पार्क से लाया गया है। एक महीने तक क्वारेंटाइन रखने के बाद अब इन्हें गोरेवाड़ा के इंडियन सफारी के हरबीओवर सफारी में छोड़ा गया है। जहां पहले से विभिन्न प्रजाति के हिरण व बारहसिंगे मौजूद है। इनमें उक्त दो नये प्रजाति के हिरण शामिल होने से घूमनेवालों के लिए यह आकर्षण का केन्द्र बनते जा रहे हैं।

नागपुर शहर के पास ही बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का गोरेवाड़ा जू बारिश में भी शुरू रहता है। ऐसे में जंगल घूमने के शौकिन यहां बड़ी संख्या में आते हैं। यहां कुल चार सफारी है। जिसमें एक टाइगर सफारी है। जिसमें राजकुमार नामक बाघ व एक बाघिन है। इसके अलावा लेपर्ड सफारी बनाई गई है। जिसमें 6 से ज्यादा तेंदुए है। भालू सफारी में 4 भालू व उनके 3 बच्चे है। वही सबसे बड़ी सफारी हरबीओवर सफारी है। जहां अभी तक 69 शाकाहारी वन्यजीव थे, जिसमें समान्य हिरणों से लेकर काले हिरण आदि हैं। बाकी सफारियों की तुलना यह सफारी सैलानियों को ज्यादा ही आकर्षित करती है। ऐसे में यहां लगातार वन्यजीवों की संख्या बढ़ाई जाती है।

अब तक यहां पर बारकिंग डियर, सामान्य हिरण, सफेद हिरण, नीलगाय, हिरण, सांबर व संघाई प्रजाति के हिरण मौजूद थे। लेकिन अब इनमें नये हिरणों को शामिल किया है। जून के आखिर में यहां उत्तराखंड से 6 हार्ड ग्राउंड बारहसिंगा को लाया था। वही 4 हॉग डीअर को लाया था। जो महाराष्ट्र में आसानी से नहीं देखने मिलते हैं। इन्हें बाहर से लाये जाने के कारण 20 से 22 दिनों तक क्वारेंटाइन रखा गया था। जिसके बाद अब इन्हें बाकी हिरणों के साथ छोड़ दिया गया है। बाकी हिरणों की तुलना यह दिखने में बहुत ज्यादा आकर्षित होने से सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। अधिकारियों की माने तो नई सफारी में छोड़ते ही यह बाकी प्रजाति के हिरणों से घुल मिल गये हैं। बारासिंगों में एक बच्चा भी हुआ है, जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है।

6 बारहसिंगा व 4 हिरणों को उत्तराखंड से लाया था। जिसे अब तक क्वारेंटाइन रखा गया था। लेकिन अब इन्हें सफारी में रीलिज किया है। वह जल्द ही यहां के माहौल में घुल-मिल गये हैं। एस. भागवत, व्यवस्थापक, गोरेवाडा प्रकल्प, नागपुर

Created On :   24 July 2024 10:46 AM GMT

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