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सख्ती पर शक: निजी बसों में हो रही मानकों की घोर अनदेखी, 9 माह में केवल 26 पर ही कार्रवाई
- आरटीओ का दावा - नियमों के उल्लंघन पर नियमित एक्शन
- हकीकत में स्थिति - सुविधाएं तमाम, सुरक्षा के हिसाब से फिट नहीं
- मानकों पर खरी नहीं बसें
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में धड़ल्ले से निजी बसों को नियमों को ताक पर रखते देखा जा सकता है, लेकिन इन पर कार्रवाई की सुध कोई नहीं ले रहा है। आरटीओ के आंकड़ें देखे तो गत 9 माह में केवल 26 बसों पर ही कार्रवाई हुई है। नियम तोड़ने वाले निजी बस चालकों के हौसले बुलंद हैं, वहीं आम लोग ट्रैफिक समस्या से लेकर अन्य परेशानियों से घिर रहे हैं।
शहर की हद में कम निजी बसें
हर्षल डाके, एआरटीओ, प्रादेशिक परिवहन कार्यालय के मुताबिक नियमों का उल्लंघन करने वाली जितनी बसें मिलीं, उन पर कार्रवाई हुई है। आंकड़ा इसलिए भी कम हो सकता है, क्योंकि शहर हद में ज्यादा निजी बसें नहीं रहती है। ग्रामीण क्षेत्र में इन्हें ज्यादा संख्या में पकड़ा जा सकता है। मानकों पर खरी नहीं बसें
आंकड़ों के अनुसार, नागपुर शहर में 8 सौ से ज्यादा निजी बसें हैं, जो विभिन्न दिशाओं की ओर यात्रियों को लेकर जाती हैं। इन बसों के लिए यात्रियों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए गए हैं। इस अनुसार, बस पूरी तरह से फिट होने चाहिए, बसों में आपातकालीन खिड़की होना जरूरी है, अग्निशमन यंत्र के अलावा क्षमता के अनुसार यात्रियों को बैठाना भी इसमें प्रमुख है। वर्तमान में कई बसें नियमों को तोड़ते दिखती हैं।
बावजूद इसके आरटीओ की ओर से इन पर नियमित कार्रवाई नहीं हो रही है। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में 5, मई में 3, जून में 2, जुलाई में 7, अगस्त में 2, सितंबर में 1, अक्टूबर में 2, नवंबर में 1 व दिसंबर में 3 बसों पर कुल 26 कार्रवाई हुई है। नियमों को ताक पर रखने वाली केवल 5 बसों को जब्त किया गया है।
शहर के बाहर करने वाले थे स्टैंड
ट्रैफिक जाम बहुत बड़ी समस्या है। शनि मंदिर रोड, बर्डी, सदर, बैद्यनाथ चौक, लोहा पुल आदि जगहों पर यह बड़ी-बड़ी बसें के कारण अक्सर जाम लगता है। इससे ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है। साथ ही दुर्घटना का प्रमाण बढ़ रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कुछ समय पहले इन बसों को शहर के बाहर ही रोकने को लेकर प्रस्ताव भी तैयार किया था, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई हलचल नहीं है।
माल-ढुलाई तोड़ते नियम
बसों के ऊपर बहुत ज्यादा माल-ढुलाई करने पर बस की हाइट बढ़ जाती है। इसके चलते ओएचई को छूने की घटनाएं भी सामने आई है। बावजूद इसके अभी-भी बाहर गांव से आने वाली कई बसों के ऊपर इतना सामान रखा जाता है कि बसें शहर में आने के बाद रास्ते में पेड़ों की टहनियों से टकराकर चलती रहती हैं।
आरटीओ की लापरवाही से असुरक्षित बसें
निजी बसों में भले ही सुविधा की कोई कमी नहीं, लेकिन सुरक्षा की कमी साफतौर पर देखने मिलती है। बसों में बड़ी-बड़ी गद्दी वाली सीटें, सोने के लिए ट्रेन की तरह बर्थ, एसी, टीवी आदि सुविधाएं दी हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से नाकाफी इंतजाम है। इसे साबित करती हैं कई घटनाएं। बसों में आग लगने जैसी घटनाएं भी हुई हैं। बसों की सुरक्षा को लेकर नियमित जांच नहीं हो रही है।
Created On :   14 Jan 2024 1:17 PM GMT